अक्सर आपने घर की बुजुर्ग महिलाओं को गुरूवार को बाल नहीं धोने की सलाह देते सुना होगा। लेकिन क्या आप जानते इसके पीछे का धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व?
इस दिन सिर ना धोने के पीछे एक किवदंती है जिसके अनुसार एक अमीर व्यवसायी और उसकी पत्नी रहते थे। पत्नी बेहद कंजूस थी। उसे दान देना पसंद नहीं था। एक बार एक भिक्षुक ने उससे कुछ खाने को मांगा लेकिन महिला ने उत्तथर दिया कि वो अभी घरेलू कामों में व्य्स्त है, वो बाद में आएं। इस तरह वह भिक्षुक कई दिन तक अलग-अलग समय पर आता रहा, लेकिन हर बार महिला इसी तरह उसे मना कर देती थी, कि वह घर के कामों में व्यमस्ते है।
एक दिन भिखारी ने महिला से पूछा कि वह कब खाली समय में रहती है? महिला को क्रोध आ गया और वो खिसियाकर बोली तुम बता दो कि खाली कैसे रह सकती हूं? भिखारी ने कहा कि वृहस्पतिवार को सिर धो लेना, तुम हमेशा के लिए खाली हो जाओगी। औरत ने भिखारी की बात को हंसी में उड़ा दिया और रोज की तरह गुरूवार को भी बाल धोती रही। लगातार ऐसा करने से उसका सारा धन बर्बाद हो गया। बाद में दम्पती को एहसास हुआ कि भिखारी का वेश में स्वंयं भगवान विष्णु आते थे। उस दिन से औरत ने वृहस्पततिवार के दिन बालों को धोना बंद किया और भगवान वृहस्पति की पूजा करनी शुरू कर दी। उन्हे पीले रंग के फूल और भोजन चढ़ाने लगी। धीरे-धीरे वे फिर से खुशहाल हो गए।
एक अन्यच मान्यंता के अनुसार, वृहस्परतिवार, भगवान विष्णु और माता महालक्ष्मीं की पूजा करने के लिए पवित्र दिन होता है। इस दिन बाल धोने से उनका आशीर्वाद प्राप्त नहीं होता है और धर में सम्पन्नता नहीं आती है।