हनुमानजी हैं मैनेजमेंट गुरू, सीखें इनसे ये गुण

हनुमान जी के जीवन से हम ढेरों बात सीख सकते हैं लेकिन उनमें सबसे अहम है दिए हुए काम को समय पर और पूरी शिदद्त के साथ पूरा करना यानी कि टारगेट अचीव करना। हनुमान जी जब कोई कार्य कर रहे होते थे तो उस समय उनका ध्यान बस और बस काम पर होता है। जो भी मुश्किलें आती थीं हनुमान जी उनका सामना करते थे। दूसरी तरफ हम मुश्किलों से घबरा जाते हैं ऐसे में श्री हनुमान को याद रखते हुए उनकी तरह करें काम-

रखें केवल टारगेट पर नजर

जैसे ही सभी विशाल समुद्र को देखते हैं तो सभी घबरा जाते हैं कि अब कैसे माता सीता का पता खोजा जाएगा? कौन है जो इस विशाल समुद्र को लांघ सकता है? तब ऐसे में यह असंभव कार्य हनुमान जी ने किया था। हनुमान जी ने बड़ी चतुराई से माता सीता का पता लगाया था। जब हनुमान टारगेट अचीव करने जा रहे थे तो रास्ते में हनुमान का सामना सबसे पहले विशाल पर्वत से हुआ था। उसके बाद एक राक्षस की भूख हनुमान मिटाते हैं और अंत में लंका पहुंचकर माता सीता की खोज करते हैं। इस कार्य से हमको पता चलता है कि हनुमान को भी मंजिल पर पहुँचने से पहले मुश्किलों का सामना करना पड़ा था लेकिन हनुमान का ध्यान सिर्फ और सिर्फ माता की खोज पर था इसलिए हनुमान अपना टारगेट अचीव कर लेते हैं।

केवल श्रीराम को पाना रखा स्वायं का मकसद

शुरू से ही हनुमान भगवान राम जी के दर्शन करने के लिए दूर पहाड़ों में तपस्या कर रहे थे। हनुमानजी की बरसों की तपस्या में उनका ध्यान भंग नहीं होता है क्योकि हनुमान का टारगेट सिर्फ और सिर्फ राम ही थे और अंत में वह राम की प्राप्ति भी कर लेते हैं. तो क्या इसी तरह से आज हमको भी अपने टारगेट की प्राप्ति नहीं करनी चाहिए? ऐसा ही एक बार असंभव कार्य हनुमान को और दिया गया था जब लक्ष्मण जी की जान बचाने के लिए हनुमान को हिमालय से जड़ी-बूटी लानी थी. टारगेट वाकई तब भी असंभव ही था. श्रीलंका से हनुमान राक्षसों से लड़ते हुए हिमालय पहुँचते हैं और यहाँ देखते हैं कि सारी जड़ी-बूटी ही चमक रही हैं. तब हनुमान सारा पहाड़ ही उठा लेते हैं और पहाड़ लेकर श्रीलंका पहुँच जाते हैं और यह टारगेट भी पूरा करते हैं. तो क्या अब इस कार्य से हमको टारगेट अचीव करने की शक्ति नहीं मिलती है क्या?

अगर महाबली हनुमान की बातें ध्यान में रखकर पूरे मनोयोग से एक ही काम को पूरा करने के मानस से काम करेंगे तो आपके सभी तरह के कार्य पूरे होने लगेंगे।
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