भड़ास कैफे : यहाँ निकाले अपना सारा गुस्सा, मिलती है पूरी आजादी

By: Ankur Mundra Thu, 30 Aug 2018 3:10:54

भड़ास कैफे : यहाँ निकाले अपना सारा गुस्सा, मिलती है पूरी आजादी

आज के समय में हर व्यक्ति कई परेशानियों से जूझ रहा हैं। किसी को नौकरी तो किसी को छोकरी की चिंता हैं। जिसकी वजह से व्यक्ति तनावग्रस्त और चिडचिडे स्वभाव का हो जाता हैं। ऐसे में इच्छा होती हैं कि कहीं पर अपना सारा गुस्सा निकाला जाए, ताकि मन को शांति मिल सकें। अगर आपकी भी ऐसी इच्छा हैं तो आपके लिए मध्य प्रदेश के इन्दौर शहर में एक ‘भड़ास कैफे’ खुला हैं। अब ऐसा क्या है इस कैफे में कि आप अपना गुसा शांत कर तनावमुक्त हो सकेंगे। आइये जानते हैं इसके बारे में।

मध्य प्रदेश के इन्दौर शहर के चन्द्रनगर क्षेत्र में एक ऐसा कैफे खोला गया है जहां जाकर आप जमकर तोडफ़ोड़ कर सकते हैं और आप से कोई कुछ नहीं बोलेगा। हां, इतना जरूर है कि इस तोडफ़ोड़ का कुछ पैसा तो आपको देना ही पड़ेगा। इस कैफे का नाम ‘भड़ास कैफे’। लोग इस कैफे में जी-भर कर तोडफ़ोड़ करते हैं और गुस्सा शान्त हो जाने पर खुद को तनावमुक्त महसूस करते हैं।

यहां पर आप को कांच के गिलास, कप, कुर्सी, टीवी, लैपटॉप, कम्प्यूटर, सीपीयू, घड़ी से लेकर हर वो चीज मिलेगी जिसे तोडऩे में आप को मजा आए। गुस्सा निकालने के लिए यहां पंचिंग बैग्स से लेकर गुब्बारे तक मौजूद हैं। 2 रुपए से 5 रुपए तक देकर आप कांच के गिलास तोड़ सकते हैं। 50 रुपए में आप के लिए घड़ी भी है। यहां पर बड़े सामान तोडऩे के लिए आपको और ज्यादा पैसे देने होंगे। नुकसान के मुकाबले यह कीमत कम है। इस कैफे की सबसे खास बात यह है कि यहां आप पर कोई रोक-टोक नहीं है।

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यह कैफे अतुल मलिकराम नाम के युवक ने खोला है। उन्होंने कहा कि ये भारत का पहला भड़ास कैफे है। आज की भाग-दौड़ भरी जिन्दगी में लोगों को तनाव और अवसाद से आजाद करने में ये कैफे बहुत मदद करेगा। इस कैफे में तोड़-फोड़ करके वो अपना मन शान्त कर पाएंगे। लोगों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उन्हें तोड़-फोड़ से पहले ग्लव्स, हेलमेट और ट्रैक सूट भी पहनाए जाते हैं। इस कैफे की दीवारों और छत पर हर तरफ नफरत, गुस्सा, गुबार, चीखना जैसे शब्द बड़े-बड़े अक्षरों में लिखे हुए हैं।

भारत के लोगों के लिए ये कैफे नया और अजीबोगरीब हो सकता है, लेकिन विदेशों में बहुत पहले से ही ऐसे भड़ास केन्द्र लोकप्रिय हैं। वहां इन्हें एंगर रूम के नाम से जाना जाता है। लोगों में बढ़ते डिप्रेशन को देखते हुए सबसे पहले एंगर रूम बनाने का ख्याल अमेरिका की एक टीनेजर डोना अलेक्जेन्डर के मन में आया। साल 2008 में उसने अपने ऑफिस के लोगों को 5 डॉलर के बदले तोड़-फोड़ करने के लिए अपने गैराज में आमंत्रित किया। लोगों को यह आइडिया पसन्द आया। बाद में अजनबी भी उससे तोड़-फोड़ करने देने का आग्रह करने लगे। 2 साल बाद डोना ने अपनी जॉब छोड़ कर इस काम का बिजनेस शुरू कर दिया। आज अमेरिका समेत कई देशों में बहुत से एंगर रूम खुले हुए हैं।

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