हनुमान जी का ऐसा मंदिर जहां टूटे हुए अंगों का होता है इलाज

By: Ankur Mundra Fri, 27 Apr 2018 5:02:17

हनुमान जी का ऐसा मंदिर जहां टूटे हुए अंगों का होता है इलाज

आज पूरे देश में हनुमान जयंती का पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जा रहा हैं। और मनाये भी क्यों नहीं आखिर हनुमान जी अपने भक्तों की रक्षा भी तो करते हैं। पूरे देश में हनुमान जी के कई मंदिर हैं जिनके चमत्कारों के बारे में सुनकर विश्वास ही नहीं हो पाता। ऐसी ही हनुमान जी का एक मंदिर हैं जहाँ हनुमान जी एक डाक्टर के रूप में विद्यमान हैं और वहाँ आने वाले सभी भक्तों की टूटी हुई हड्डियों का इलाज करते हैं। सुनने में अजीब हैं लेकिन यह बिलकुल सत्य हैं। तो आइये जानते हैं इस मंदिर के बारे में।

कटनी से करीब 35 कि.मी. दूर मोहास गांव में हनुमान मंदिर स्थित है। यहां लोग दर्द से कहराते हुए आते हैं और मुस्कुराते हुए जाते हैं। कहा जाता है कि इस मंदिर में टूटी हुई हड्डियां अपने आप जुड़ जाती हैं। किसी दवाखाने से अधिक भीड़ यहां लगती है। शनिवार और मंगलवार को मंदिर में भक्तों की इतनी संख्या होती है कि पांव रखने तक की भी जगह नहीं होती। प्रतिदिन यहां का नजारा अनूठा होता है। मंदिर में कोई किसी को स्ट्रेचर पर लाता है, तो कोई पीठ या एम्बुलेंस में लेकर आता है। किसी का हाथ टूटा होता है तो कोई पैर या अन्य जगह के फ्रैक्चर के दर्द से कहरा रहा होता है। यहां हनुमान जी को हड्डी को जोड़ने वाले हनुमान कहते हैं।

मंदिर परिसर में पहुंचते ही पंडा सभी को आंखें बंद करने के लिए कहते हैं। इसके साथ ही उन्हें राम नाम जपने के लिए कहा जाता है। जब भक्त आंखें बंद करते हैं उसी दौरान पंडा और उनके सहयोगी पीड़ितों को कोई औषधि खिलाते हैं। वे पीड़ित को पत्तियों व जड़ रुपी औषधि देते हैं और उसे खूब चबाकर खाए जाने की सलाह देते हैं। औषधि खाने के बाद सभी को घर भेज दिया जाता है। कहा जाता है कि इस औषधि और हनुमानजी के आशीर्वाद से हड्डियां अपने आप जुड़ जाती है।

वैसे तो मंदिर में हर रोज औषधि दी जाती है। लेकिन शनिवार और मंगलवार के दिन इसके लिए विशेष रुप से निर्धारित है। कहा जाता है कि इन दो दिनों में औषधि ज्यादा असर करती है। जिसके कारण मंगलवार और शनिवार के दिन मंदिर में भक्तों का मेला लगता है। मंदिर में औषधि के लिए कोई राशि निर्धारित नहीं है। भक्त अपनी श्रद्धा से दान पेटी में डाल देते हैं। मंदिर के बाहर दुकान से तेल मिलता है। मालिश के इस तेल का मूल्य भी 50 या 100 रुपए ही है। हनुमान जी के मंदिर में आज तक कोई भी व्यक्ति निराश होकर नहीं गया।

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