हाथरस गैंगरेप / पढ़ें- पीड़िता के परिवार की आपबीती और क्या है पुलिस का दावा

By: Pinki Wed, 30 Sept 2020 1:48:58

हाथरस गैंगरेप  / पढ़ें- पीड़िता के परिवार की आपबीती और क्या है पुलिस का दावा

उत्तर प्रदेश के हाथरस में गैंगरेप पीड़ित लड़की की मौत के मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से फोन पर बात की है। मोदी ने कहा है कि दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। उधर, इस घटना के बाद पूरे देश में गुस्सा दिखाई दे रहा है। दूसरी तरफ इस मामले में यूपी पुलिस के रवैये की भी हर तरफ आलोचना हो रही है। पीड़िता का परिवार गंभीर इल्जाम लगा रहा है जबकि पुलिस अपने अलग दावे कर रही है।

पीड़िता के भाई ने क्या कहा


पीड़िता के भाई का कहना है कि पुलिस ने दीदी के लिए एंबुलेंस भी नहीं मंगाई थी। बहन जमीन पर लेटी हुई थी। पुलिसवालों ने कह दिया था कि इन्हें यहां से ले जाओ। ये बहाने बनाकर लेटी हुई है। पीड़िता के भाई ने ये भी आरोप लगाया कि इस मामले में हमें एफआईआर दर्ज कराने के लिए 8-10 दिन का इंतजार करना पड़ा। दूसरी तरफ रिपोर्ट होने के बाद पुलिस एक आरोपी को पकड़ती थी और दूसरे को छोड़ देती थी। जब धरना प्रदर्शन किया गया तो पुलिस ने कार्रवाई की और 10-12 दिन बाद आरोपियों को पकड़ा गया। पीड़िता के भाई ने कहा कि 10 से 15 दिन तक तो दीदी की ब्लीडिंग रुकी तक नहीं थी। 22 सितंबर के बाद उन्हें अच्छा इलाज मिलना शुरू हुआ। उनके साथ लापरवाही बरती गई। उन्हें ठीक से इलाज नहीं दिया गया।

पीड़िता के भाई कहते हैं कि उनको (पीड़िता) नॉर्मल वार्ड में रखा गया था। हमें यूपी सरकार से इंसाफ की कोई उम्मीद नहीं है। बीजेपी सरकार घटना पर कुछ भी नहीं बोली है। न ही सीएम योगी आदित्यनाथ ने कुछ बोला है। परिजनों का कहना है कि उन्हें न्याय चाहिए। आरोपियों को फांसी की सजा हो।

पीड़िता की मां ने कही ये बात

पीड़िता की मां ने बताया, 'जब मैंने अपनी बेटी को देखा तो उसके शरीर से खून बह रहा था। मैंने अपने दुपट्टे से उसे ढका। बेटी की जीभ कटी हुई थी। पुलिस झूठ बोल रही है कि जीभ नहीं काटी गई थी। बेटी ने अपने भाइयों के कानों में एक आरोपी का नाम लिया और वह बेहोश हो गई। हमने सोचा कि गांव के लड़के ने उसकी पिटाई की।'

बता दें कि हाथरस जिले के चंदपा थानाक्षेत्र में 14 सितंबर की सुबह 19 साल की लड़की के साथ गैंगरेप की इस घटना को अंजाम दिया। घटना के कई दिन बाद लड़की होश में आई थी। 29 सितंबर को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में इलाज के दौरान लड़की ने दम तोड़ दिया।

क्या है पुलिस का दावा

पुलिस की सबसे बड़ी और अलग थ्योरी तो यही है कि दुष्कर्म का कोई तथ्य सामने नहीं आया है। आईजी पियूष मोडिया ने कहा है कि मेडिकल एग्जामिनेशन के दौरान दुष्कर्म का कोई भी तथ्य सामने नहीं आया।

दूसरी तरफ यूपी के एडीजी लॉ एंड ऑर्डर प्रशांत कुमार का कहना है कि 14 सितंबर को यह घटना घटी और लड़की के भाई ने जो तहरीर दी थी उसके आधार पर पहली एफआईआर दर्ज की गई। जिस संदीप कुमार का नाम एफआईआर में है उसे तुरंत गिरफ्तार किया गया। हालांकि उस शिकायत में रेप का जिक्र नहीं था लेकिन 22 तारीख को पहली बार लड़की ने सेक्सुअल असॉल्ट का जिक्र किया, उसके बाद इस मामले में गैंगरेप की धारा लगाई गई और सभी चार आरोपी गिरफ्तार कर लिए गए।

प्रशांत कुमार ने बताया कि जल्द से जल्द विशेष फास्ट ट्रैक कोर्ट में सुनवाई के बाद सजा भी दिलवाई जाएगी। यह दुखद घटना घटी है लेकिन जैसे-जैसे इस मामले में लड़की के आरोप आते गए हम लोगों ने वैसे वैसे कार्रवाई की है।

एडीजी प्रशांत कुमार का कहना है कि पहले गला दबाकर मारने की कोशिश की एफआईआर थी, बाद में उसमें धारा 307 लगाई गई। सेक्सुअल असॉल्ट का मामला आया तो फिर गैंगरेप की धारा लगाई गई। उन्होंने बताया कि अब लड़की की दुखद मौत हो चुकी है तो अब चारों आरोपियों पर आईपीसी की धारा 302 भी लग गई है।

प्रशांत कुमार ने पुलिस कार्रवाई पर उठ रहे सवालों पर कहा कि इसमें पुलिस की तरफ से कोई लापरवाही नहीं है। वहीं, हाथरस पुलिस ने बाकायदा ट्वीट कर ये बताया कि पीड़िता की जीभ नहीं काटी गई थी, जबकि परिवारवाले इसे पुलिस का झूठ करार दे रहे हैं।

अलीगढ़ के डॉक्टर ने कही ये बात

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के जेएन मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल के डॉ एमएफ हुड्डा ने हाथरस गैंगरेप पर बयान दिया है। पीड़िता अलीगढ़ के जेएन मेडिकल कॉलेज से ही दिल्ली के सफदरजंग हॉस्पिटल रेफर की गई थी। डॉ हुड्डा ने बताया कि पीड़िता को 14 सितंबर की रात को हमारे अस्पताल लाया गया था। उनके शरीर पर काफी चोट थी। उनकी रीढ़ की हड्डी टूट गई थी, जिसके परिणामस्वरूप पूरे शरीर को लकवा मार गया था। आजतक की खबर के अनुसार डॉ एमएफ हुड्डा ने बताया कि पीड़िता बेहोश थीं। वह आईसीयू में वेंटिलेटर पर थीं। हम उन्हें हर संभव उपचार दे रहे थे। परिवार को सफदरजंग स्थानांतरित करने का विकल्प दिया गया था। वे शुरू में शिफ्ट नहीं करना चाहते थे, लेकिन 10 दिनों के बाद वे अपनी बेटी को दिल्ली स्थानांतरित करने के लिए तैयार हुए।

डॉ एमएफ हुड्डा ने कहा कि फॉरेंसिक टीम भी शामिल थी। वे इस बात को स्पष्ट करने के लिए बेहतर स्थिति में होंगे कि उन्होंने पीड़िता के शरीर पर कौन से सबूत पाए जिससे साबित हुआ कि उनका रेप हुआ। डॉ एमएफ हुड्डा ने बताया कि पीड़िता की जीभ नहीं काटी गई थी। उनकी जीभ पर कुछ चोट थी। हो सकता है वो पहले की हो। पीड़िता बोलने में सक्षम थी।

डॉ एमएफ हुड्डा आगे बताते हुए कहा कि 22 सितंबर को पीड़िता अपना बयान देने के लिए थोड़ी बेहतर स्थिति में थी। उस दिन मजिस्ट्रेट आए और पीड़िता ने अपना बयान दिया। डॉ हुड्डा ने कहा कि मौत की वजह पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट सामने आने के बाद ही मालूम पड़ेगी।

गौरतलब है कि घटना के बाद पीड़िता की गुहार सुनने में लापरवाही का आरोप तो परिवार ने लगाया है लेकिन 29 सितंबर को पूरे देश ने पुलिस की नीयत को भी देखा। दिल्ली में मौत के बाद जब पीड़िता का शव हाथरस उसके गांव ले जाया तो पुलिस ने परिवार की अनुपस्थिति में ही रातों-रात अंतिम संस्कार करा दिया। पुलिस के इस रवैये पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। पीड़िता के पिता ने आरोप लगाया है कि उन्हें घर में बंद कर दिया गया था, पुलिस डेडबॉडी ले गई और उन्होंने नहीं देखा कि यह किसकी बॉडी है। साथ ही चश्मदीदों का कहना है कि पुलिस ने परिवारवालों को अंदर बंद कर दिया और बाद में बाहर पुलिस खड़ी हो गई और पीड़िता का अंतिम संस्कार कर दिया गया

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