घूसखोरी का खेल : जांच में खुल रही लगातार परतें, दो एजेंटों की मदद से चलता था रैकेट
By: Ankur Fri, 30 Oct 2020 8:15:11
सिस्टम में घूसखोरी उसे तबाह करने का काम करती हैं। इसको लेकर गैर कृषकों को हिमाचल में भूमि खरीदने की मंजूरी देने के मामले में लगातार धारा 118 के तहत मामले में जांच चल रही है। विजिलेंस जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, वैसे-वैसे राज्य चुनाव आयुक्त व पूर्व मुख्य सचिव पार्थ सारथी मित्रा की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। विजिलेंस की अब तक की जांच में यह साफ हो गया है कि मित्रा धारा 118 के तहत जमीन खरीद के मामलों में मंजूरी देने के लिए दो एजेंटों की मदद से पैसा लेते थे।
अब तक तीन ऐसे मामले मिले हैं, जिनमें वॉयस रिकॉर्डिंग और वॉयस सैंपल तक का मिलान कर लिया है। खास बात यह है कि मित्रा इस काम के लिए जिस फोन का इस्तेमाल करते थे, वह फोन उनके ही एक एजेंट के बेटे के नाम पर दर्ज था। इस फोन का प्रयोग वह डील के संबंध में बात करते थे।
जांच के अनुसार अनुमति देने के नाम पर पांच से दस लाख रुपये तक की घूस ली गई है। जांच में यह भी पता चला है कि मित्रा के इशारे पर ही एजेंट आवेदन करने वाले से संपर्क करते थे और उससे जमीन खरीदने की अनुमति दिलाने के लिए डील तय करते थे। इन्हीं सुबूतों के आधार पर ही विजिलेंस ने मित्रा पर दबाव बनाना शुरू किया था। लेकिन मित्रा जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं। ऐसे में ब्यूरो ने कोर्ट से उनका पॉलीग्राफ टेस्ट कराने की मंजूरी मांगी है। मित्रा टेस्ट कराने से इनकार कर चुके हैं लेकिन कोर्ट ने उनकी दलीलों को खारिज करते हुए उन्हें विजिलेंस के दाखिल किए गए साक्ष्यों पर जवाब देने को कहा है। इस जवाब के आधार पर ही कोर्ट पॉलीग्राफ टेस्ट की मंजूरी देने पर फैसला करेगा।
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