राजा मानसिंह हत्याकांड / फेक एनकाउंटर के सभी दोषियों को आजीवन कारावास, इंसाफ मिलने में लगे 35 साल

By: Pinki Wed, 22 July 2020 3:55:49

राजा मानसिंह हत्याकांड / फेक एनकाउंटर के सभी दोषियों को आजीवन कारावास, इंसाफ मिलने में लगे 35 साल

35 साल बाद राजा मान सिंह, हरि सिंह और सुमेर सिंह हत्या मामले पर मथुरा स्थित सीबीआई कोर्ट ने कुल 18 में से 11 आरोपियों को दोषी ठहराया है। कोर्ट ने इसमें 3 लोगों को बरी कर दिया है। इस फर्जी एनकाउंटर (Fake Encounter) मामले में मथुरा के जिला एवं सत्र न्यायलय ने बुधवार को सजा का ऐलान कर दिया। कोर्ट ने सभी दोषी 11 पुलिसकर्मियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। पुलिस एनकाउंटर में राजा मानसिंह सहित 3 की मौत हुई थी। कोर्ट द्वारा सुनाई गई सजा के अनुसार, धारा 148 में 2 वर्ष का कारावास और 1 हज़ार रुपये जुर्माना लगाया गया है। धारा 302, 149 में आजीवन कारावास और 10 हज़ार जुर्माना लगाया गया है।

अदालत के फैसले पर राजा मानसिंह के परिजनों ने खुशी जाहिर की है। राजा मान सिंह की बेटी दीपा ने इस दौरान कहा कि न्याय देर से ही मिला पर मिला। वहीं, आरोपी पक्ष के वकील ने कहा कि अदालत के फैसले के बाद वह उच्च न्यायालय में अपील करेंगे।

मंगलवार को किए गए दोषी करार

दरअसल, मंगलवार को जिला जज साधना रानी ठाकुर ने फैसला सुनाते हुए 11 पुलिसकर्मियों को आईपीसी की धारा 148, 149 और 302 के तहत दोषी पाया था। तत्कालीन सीओ कान सिंह भाटी और एसओ वीरेंद्र सिंह सहित 11 पुलिसकर्मियों को दोषी करार दिया गया। वहीं अदालत ने जेडी में हेरफेर के आरोपी 3 पुलिसकर्मियों को बरी कर दिया।

दरअसल भरतपुर राजपरिवार के सदस्य राजा मान सिंह जो डीग से 7 बार निर्दलीय विधायक रहे, लेकिन यह घटना तब घटित हुई जब राजा मान सिंह के खिलाफ कांग्रेस पार्टी ने एक सेवानिवृत्त आईएएस ऑफिसर विजेंद्र सिंह को उनके सामने टिकट देकर चुनावी मैदान में उतारा। 20 फरवरी 1985 को कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने राजा मान सिंह के पोस्टर झंडे और बैनर फाड़ दिए थे। इससे मान सिंह काफी नाराज हो गए थे।

क्यों हुआ था डीग में विवाद?

कांग्रेस शासित सरकार के मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर हेलीकॉप्टर से डीग में कांग्रेस प्रत्याशी के समर्थन में सभा को संबोधित करने आए थे तभी राजा मान सिंह अपनी जीप लेकर सभा स्थल पर पहुंच गए और मंच तोड़ दिया। उसके बाद मुख्यमंत्री के हेलीकॉप्टर को भी अपनी जीप से तोड़ दिया था, जिसके बाद इलाके में तनाव पैदा हो गया और पुलिस ने भी कर्फ्यू लगा दिया था।

21 फरवरी 1985 को जब राजा मान सिंह अपनी जीप में सवार होकर अपने समर्थकों के साथ पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण करने पहुंच रहे थे तभी डीग कस्बे की अनाज मंडी में भारी पुलिस तैनात थी। वहां डीएसपी कान सिंह भाटी ने अपने पुलिसकर्मियों के साथ राजा मान सिंह को रोक लिया था। जिसके बाद पुलिस ने राजा मान सिंह और उसके समर्थकों पर फायरिंग शुरू कर दी जिसमें राजा मान सिंह के साथ ठाकुर सुमेर सिंह और ठाकुर हरि सिंह की मौत हो गई थी। जिस वक्त राजा की मौत हुई, उनकी उम्र 64 वर्ष थी।

इन्हें हुई सजा

डिप्टी एसपी कान सिंह भाटी, एसएचओ डीग वीरेंद्र सिंह, चालक महेंद्र सिंह, कांस्टेबल नेकीराम, सुखराम, कुलदीप सिंह, आरएसी के हेड कांस्टेबल जीवाराम, भंवर सिंह, कांस्टेबल हरी सिंह, शेर सिंह, छत्तर सिंह, पदमा राम, जगमोहन, पुलिस लाइन के हेड कांस्टेबल हरी किशन, इंस्पेक्टर कान सिंह सिरबी, एसआइ रवि शेखर, कांस्टेबल गोविन्द प्रसाद, एएसआइ सीताराम।

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