अंधविश्वास ने ली मासूम की जान... अगर समय पर उपचार मिलता तो बच सकती थी जान

By: Pinki Mon, 24 Aug 2020 10:52:09

अंधविश्वास ने ली मासूम की जान... अगर समय पर उपचार मिलता तो बच सकती थी जान

अंधविश्वास के चक्कर में रविवार को भरपूर के चिकसाना क्षेत्र के बराखुर गांव में एक 8 वर्षीय बच्चे की जान चली गई। परिजन अंधविश्वास के जाल में इस कदर फंसे हुए थे कि बच्चे को अस्पताल लाकर इलाज कराने के बजाय पूरा दिन झाड़फूंक में ही निकाल दिया। स्थिति उस समय और भी विकट हो गई जब जिला मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर दूर रूपवास के खानुआ में बैठा तांत्रिक मंत्र फूंकता रहा और यहां आरबीएम अस्पताल परिसर में मृत पड़े बच्चे के कान पर मोबाइल रखकर परिजन उसे मंत्र सुनाते रहे। लेकिन, बच्चा जीवित नहीं हुआ। इतना ही नहीं बच्चे के मरने के बाद परिजन उसको तांत्रिक के पास खानुआ ले गए। वहां भी करीब एक घंटे की मशक्कत के बाद भी बच्चे के प्राण नहीं लौटे। आखिर में उन्हें बच्चे का अंतिम संस्कार ही करना पड़ा।

क्या हुआ था?

अलवर जिले में कठूमर के गांव सेखपुरा निवासी विश्राम सिंह की पत्नी लक्ष्मी का पीहर चिकसाना के बाराखुर में है। उसका 8 वर्षीय पुत्र आयुष दो साल से नानी-नाना के पास रहकर पढ़ाई कर रहा था। रविवार सुबह आयुष नानी के साथ खेत पर गया वहां उसे सांप ने काट लिया। उसकी चीख पुकार सुनकर नानी घबरा गई और तत्काल उसे बराखुर ले आई। परिजन गांव में ही सांप काटे की दवा देने वाले वाले एक व्यक्ति के पास ले गए। तांत्रिक ने परिजनों से कहा कि मैं यहीं से मंत्र पढ़ता हूं। आप मोबाइल का स्पीकर बच्चे के कान पर रखिए। उसके कान में मंत्रोच्चारण जाएगा तो वह जीवित हो उठेगा। इस दृश्य को देखने के लिए अस्पताल परिसर में काफी भीड़ एकत्रित हो गई। परिजनों ने तांत्रिक कहे अनुसार वैसा ही किया। मृत बच्चे के कान पर मोबाइल का स्पीकर रखा और उसे मंत्र सुनवाया गया। करीब 30 किलोमीटर दूर से तांत्रिक मंत्र पढ़ता रहा। लेकिन, फिर भी बच्चे के शरीर में कोई हलचल नहीं हुई। इस पर तांत्रिक ने कहा कि आप बच्चे को तत्काल मेरे पास लेकर आओ।

बच्चे की जान अवश्य बच जाएगी। इस पर परिजन अस्पताल से छुट्टी करवा कर मृत बच्चे को लेकर तांत्रिक के पास खानुआ पहुंचे। वहां भी तांत्रिक ने काफी देर तक तंत्र-मंत्र और झाड़-फूंक की। लेकिन, बच्चे के शरीर में कोई हलचल नहीं हुई।

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