रूस का पहली कोरोना वैक्सीन बनाने का दावा विवादों में, स्वास्थ्य मंत्रालय के वैज्ञानिक ने दिया इस्तीफा
By: Pinki Fri, 14 Aug 2020 10:19:36
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने मंगलवार को दावा किया कि उनके यहां दुनिया की पहली कोरोना वैक्सीन तैयार हो गई है। हालाकि, इस दावे के साथ ही कई तरह के सवाल उठने लग गए है। खबर है कि ट्रायल के नाम पर 42 दिन में मात्र 38 वॉलंटियर्स को वैक्सीन की डोज दी गई। ट्रायल के तीसरे चरण पर भी कोई जानकारी सामने नहीं आई है। वहीं, वैक्सीन के कई साइड इफेक्ट्स की जानकारी भी सामने आई है। हालाकि, रूसी सरकार दावा कर रही थी कि वैक्सीन के कोई साइड इफेक्ट नहीं दिखे जबकि रजिस्ट्रेशन के दौरान पेश किए दस्तावेज बताते है कि 38 वॉलंटियर्स में 144 तरह के साइड इफेक्ट देखे गए हैं। ट्रायल के 42 वें दिन भी 38 में से 31 वॉलंटियर्स इन साइडइफेक्ट से जूझते दिखे। वॉलंटियर्स को डोज लेने के बाद कई तरह दिक्कतें हुईं। इतना ही नहीं WHO का भी कहना है कि रूस ने वैक्सीन बनाने के लिए तय दिशानिर्देशों का पालन नहीं किया, ऐसे में इस वैक्सीन की सफलता पर भरोसा करना मुश्किल है। WHO ने रूस द्वारा बनाई गई कोरोना की वैक्सीन को लेकर कई तरह की शंकाएं जताई हैं। संगठन के प्रवक्ता क्रिस्टियन लिंडमियर ने प्रेस ब्रीफिंग के दौरान कहा कि अगर किसी वैक्सीन का तीसरे चरण का ट्रायल किए बगैर ही उसके उत्पादन के लिए लाइसेंस जारी कर दिया जाता है, तो इसे खतरनाक मानना ही पड़ेगा।
वरिष्ठ श्वांस रोग विशेषज्ञ प्रो एलेक्जेंडर चुचैलिन ने दिया इस्तीफा
वहीं, पुतिन द्वारा कोरोना की पहली वैक्सीन बनाने की घोषणा के बाद रूस के वरिष्ठ श्वांस रोग विशेषज्ञ प्रो एलेक्जेंडर चुचैलिन ने रूस के स्वास्थ्य मंत्रालय की एथिक्स काउंसिल से इस्तीफा दे दिया है। कहा जा रहा है कि ‘स्पूतनिक वी’ वैक्सीन का पंजीकरण न रोक पाने के बाद उन्होंने ये कदम उठाया है।
प्रो एलेक्जेंडर वैक्सीन की सुरक्षा और असर पर सवाल उठा रहे हैं। यही नहीं उन्होंने वैक्सीन बनाने वाली संस्था गमालेया रिसर्च इंस्टीट्यूट के निदेशक व रूसी सेना में वरिष्ठ वायरोलॉजिस्ट कर्नल प्रो सर्जी बोरिसेविक पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा, इन दो लोगों ने एकेडमिक्स और मानकों को दरकिनार कर दुनिया की पहली वैक्सीन बनाने की घोषणा की पृष्ठभूमि तैयार की है। प्रो एलेक्जेंडर ने ही रूस में रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ पल्मोनोलॉजी को खड़ा किया है।
क्या सभी मानक पूरे किए?
प्रो एलेक्जेंडर ने दोनों वैज्ञानिकों पर सवाल उठाते हुए उनसे पूछा है कि ‘क्या आप लोगों ने सभी मानक को पूरा किया है जो रूस के सांविधानिक कानून में है और अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक समुदाय ने तैयार किया है’। उन्होंने कहा है कि ऐसे किसी मानक का पालन नहीं हुआ है जिससे ये कहा जा सके की टीका हानिकारक नहीं हो सकता है। वे कहते हैं ‘वैक्सीन को लेकर गैर जिम्मेदाराना बयानों से मैं आहत हूं।
दुनियाभर के विशेषज्ञ उठा रहे सवाल
यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के प्रोफेसर फ्रांसुआ बैलक्स कहते है, रशिया का ऐसा करना शर्मनाक है। यह बेहद घटिया फैसला है। ट्रायल की गाइडलाइन को नजरअंदाज करके वैक्सीन को बड़े स्तर पर लोगों को देना गलत है। इंसान की सेहत पर इसका गलत प्रभाव पड़ेगा।
जर्मनी के स्वास्थ्य मंत्री जेंस स्पान के मुताबिक, रशियन वैक्सीन की पर्याप्त जांच नहीं की गई। इसे लोगों को देना खतरनाक साबित हो सकता है। वैक्सीन सबसे पहले बने, इससे ज्यादा जरूरी है यह सुरक्षित हो।
अमेरिका के प्रमुख संक्रामक रोग विशेषज्ञ एंथनी फाउची रूस के वैक्सीन बना लेने के ऐलान पर कहा कि उन्हें शक है कि ये वैक्सीन कोरोना वायरस पर काम करेगी।
फाउची ने कहा, 'वैक्सीन बनाना और उस वैक्सीन को सुरक्षित और प्रभावी साबित करना दोनों अलग-अलग चीजें हैं।' फाउची ने कहा कि उन्हें कोई ऐसा सबूत नहीं मिला है जिससे पुतिन के कारगर वैक्सीन बना लेने के ऐलान पर भरोसा किया जा सके।
फाउची ने कहा, 'मुझे उम्मीद है कि रूस के लोगों ने निश्चित रूप से ये साबित किया होगा कि वैक्सीन सुरक्षित और असरदार है। हालांकि मुझे संदेह है कि उन्होंने ऐसा किया होगा।' उन्होंने कहा कि अमेरिकियों को यह समझना चाहिए कि वैक्सीन की मंजूरी प्राप्त करने के लिए उसका सुरक्षित और प्रभावी साबित होना जरूरी है।
फाउची ने कहा, 'मुझे उम्मीद है कि COVID-19 की एक सुरक्षित वैक्सीन इस साल के अंत तक आ जाएगी। हालांकि उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि एक सुरक्षित और प्रभावी वैक्सीन की गारंटी कभी नहीं दी जा सकती है।'