पीएम मोदी ने साझा की संघ से जुड़ी यादें, कहा- RSS ऑफिस में बनाते थे खाना, धोते थे बर्तन और साफ करते थे दफ्तर
By: Priyanka Maheshwari Wed, 23 Jan 2019 12:59:13
'Humans of Bombay' नाम के फेसबुक पेज पर पीएम मोदी (PM Modi) के शब्दों में उनकी कहानी बयां की। कई भाग में आ रहे इस इंटरव्यू में प्रधानमंत्री ने अपने बचपन की यादें शेयर करते हुए बताया कि कैसे वह अपने गांव से अहमदाबाद आ गए और उन्हें राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (RSS) के साथ जुड़ने का मौका मिला। पीएम मोदी ने कहा कि वे जीवन में इतने व्यस्त थे, लेकिन उन्होंने हिमालय पर मिलने वाली शांति को कभी भी अपने से दूर नहीं जाने का दृढ़ संकल्प लिया था। जीवन में संतुलन बनाए रखने के लिए, उन्होंने पांच दिन हिमालय में बिताने का फैसला लिया है और वह इसके लिए खुद खर्च करेंगे।
फेसबुक पोस्ट में कहा, 'हिमालय से वापस आने के बाद मैंने जाना कि मेरी जिंदगी दूसरों की सेवा के लिए है। लौटने के कुछ समय बाद ही मैं अहमदाबाद चला गया। मेरी जिंदगी अलग तरह की थी, मैं पहली बार किसी बड़े शहर में रह रहा था। वहां मैं मेरे अंकल की कैंटीन में कभी-कभी उनकी मदद करता था। आखिरकार मैं राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का फुल टाइम प्रचारक बन गया। वहां पर मुझे जिंदगी के अलग-अलग क्षेत्रों से ताल्लुक रखने वाले लोगों से संपर्क में आने का मौका मिला और वहां मैंने काफी काम भी किया।
आरएसएस ऑफिस को साफ करने, साथियों के लिए चाय-खाना बनाने और बर्तन धोने की सबकी बारी आती थी।' पीएम मोदी ने कहा कि वह हिमालय में मिली शांति को नहीं भूलना चाहते थे। इसलिए उन्होंने जिंदगी में संतुलन बनाने के लिए हर साल से पांच दिन निकलाकर अकेले में बिताने का फैसला किया। उन्होंने कहा, 'ज्यादा लोग इस बारे में नहीं जानते, लेकिन मैं दिवाली के मौके पर पांच दिन ऐसे जगह जाता हूं। ये जगह कहीं भी जंगल में हो सकती है, जहां साफ पानी हो और लोग न हों। मैं उन पांच दिनों का खाना पैक कर लेता हूं। वहां उस दौरान रेडियो, टीवी, इंटरनेट और न्यूजपेपर नहीं होता।' उन्होंने कहा कि एकांत उन्हें जिंदगी जीने के लिए मजबूती देता है।
प्रधानमंत्री मोदी ने बताया था मेरे परिवार के आठ लोग 40X12 के कमरे में रहते थे। यह छोटा सा घर था, पर हमारे परिवार के लिए पर्याप्त था। हमारे दिन की शुरुआत सुबह पांच बजे हो जाती थी। मेरी मां पढ़ी-लिखी नहीं थी पर भगवान की कृपा से उनके पास एक खास तरह का ज्ञान था। वह नवजात शिशुओं की हर तकलीफ को तुरंत समझ जाती थीं। मां के उठने से पहले महिलाएं अपने शिशुओं को लेकर घर के बाहर लाइन लगाकर खड़ी रहती थीं। प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि जब वह छोटे थे तब उन्हें हिंदी आती ही नहीं थी। वह रोज पिता के साथ सुबह चाय की दुकान खोला करते थे। दुकान की साफ-सफाई की जिम्मेदारी उनके ऊपर थी। कुछ देर में ही लोगों का आना शुरू हो जाता था। पिता जब उन्हें चाय देने को बोलते तो वह लोगों की बात सुना करते थे। धीरे-धीरे उन्हें हिंदी बोलना आ गया।