1971 की भारत-पाक जंग के 50 साल पूरे, PM मोदी ने रणबांकुरों को दी श्रद्धांजलि, जलाई चार विजय मशाल

By: Pinki Wed, 16 Dec 2020 10:05:16

1971 की भारत-पाक जंग के 50 साल पूरे,  PM मोदी ने रणबांकुरों को दी श्रद्धांजलि, जलाई चार विजय मशाल

भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 में हुई जंग में जीत के आज 50 साल पूरे हो गए। ये वही युद्ध था जिसके नतीजे में दुनिया के नक्शे पर बांग्लादेश नाम के नए राष्ट्र का उदय हुआ। इस संघर्ष में करारी हार झेलने के बाद पाकिस्तान के 93 हजार सैनिकों को भारत के सामने आत्मसमर्पण करना पड़ा था। पाकिस्तान के खिलाफ जंग में जीत और बांग्लादेश की आजादी के बाद से भारत 16 दिसंबर को विजय दिवस के तौर पर मनाता रहा है।

इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज नई दिल्ली स्थित नेशनल वॉर मेमोरियल (NWM) पर स्वर्णिम विजय मशाल जलाई। यहां उनकी अगुआई रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने की। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) बिपिन रावत और सेना के तीनों अंगों के प्रमुख भी मौजूद रह। सभी ने शहीदों को श्रद्धांजलि देंगे।

पूरे देश में बुधवार से स्वर्णिम विजय वर्ष मनाया जा रहा है। शहीदों की याद में कई कार्यक्रम हो रहे हैं। इनमें 1971 की जंग में लड़े सैनिकों और शहीदों की विधवाओं का सम्मान किया जाएगा। इसके साथ ही बैंड डिस्प्ले, सेमिनार, प्रदर्शनी, फिल्म फेस्टिवल, कॉन्क्लेव और एडवेंचर एक्टिविटी भी होंगी।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने राष्ट्रीय समर स्मारक पर स्वर्णिम विजय वर्ष के लोगो (Logo) का अनावरण किया। इसी के साथ पूरे साल तक चलने वाले स्वर्णिम विजय वर्ष समारोह की शुरुआत हो गई है।

चार विजय मशाल जलाई गई


प्रधानमंत्री ने नेशनल वॉर मेमोरियल की लौ से 4 विजय मशाल जलाई। इन मशालों को देश के अलग-अलग हिस्सों में ले जाया जाएगा। इनमें 1971 युद्ध के परमवीर चक्र और महावीर चक्र विजेता सैनिकों के गांव भी शामिल हैं। नेशनल वॉर मेमोरियल बनाते समय इन सभी वीरता पुरस्कार विजेताओं को सम्मान देने के लिए उनके गांवों की मिट्टी लाई गई थी।

1971 के भारत-पाक जंग में क्या हुआ था?

1971 में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध का मुख्य कारण बांग्लादेश को आजाद कराना था। इस जंग में भारतीय सेना भी शामिल हुई थी। 13 दिन चली इस लड़ाई में पाक सेना को मुंह की खानी पड़ी। इस युद्ध की शुरुआत 3 दिसंबर 1971 को हुई और ये लड़ाई 16 दिसंबर 1971 तक चली। 16 दिसंबर 1971 को पाकिस्तानी जनरल एएके नियाजी ने अपने 90 हजार सैनिकों के साथ भारत और मुक्ति वाहिनी के सामने ढाका में आत्मसमर्पण कर दिया। इसके साथ ही बांग्लादेश पाकिस्तान से अलग हो गया था।

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