स्विस बैंकों में निष्क्रिय पड़े 6 भारतीयों के खाते, 300 करोड़ रुपये का नहीं मिल रहा कोई दावेदार

By: Pinki Mon, 16 July 2018 08:50:59

स्विस बैंकों में निष्क्रिय पड़े 6 भारतीयों के खाते, 300 करोड़ रुपये का नहीं मिल रहा कोई दावेदार

कालेधन पर देशभर में चल सियासत के बीच स्विट्जरलैंड के बैंकों में भारतीयों के निष्क्रिय खातों से जुड़ी जानकारी सामने आई है। इन बैंकों में मौजूद छह भारतीयों के छह निष्क्रिय खातों में जमा करीब 300 करोड़ रुपये का कोई दावेदार सामने नहीं आ रहा है। स्विट्जरलैंड में बैंकिंग व्‍यवस्‍था की देखरेख करने वाली संस्‍था ने 2015 में पहली बार निष्क्रिय पड़े खातों की लिस्‍ट जारी की थी, इनमें कई अन्‍य देशों के लोगों के साथ ही कई भारतीयों के भी खाते थे, लेकिन इन खातों का कोई दावेदार सामने नहीं आ रहा है। 2015 में जारी की गई सूची के मुताबिक, करीब 3500 ऐसे खाते मिले थे, जो कि निष्क्रिय पड़े थे, इनमें छह भारतीयों के साथ लिंक बताए जाते हैं।
नियम के तहत इन खातों की सूची इसलिए जारी की जाती है कि ताकि खाताधारकों के कानूनी उत्तराधिकारियों को उन पर दावा करने का अवसर मिल सके। सही दावेदार मिलने के बाद सूची से उस खाते की जानकारियां हटा दी जाती हैं। वर्ष 2017 में सूची से 40 खाते तथा दो लॉकर की जानकारी हटाई जा चुकी हैं।
हालांकि,आधिकारिक रूप से बैंक ने भारतीयों के खातों में जमा राशि की जानकारी नहीं दी है। लेकिन अनुमान है कि इन खातों में करीब 4.4 करोड़ स्विस फ्रैंक (करीब 300 करोड़ रुपये) जमा है। सूत्रों के मुताबिक इन खातों में से तीन ने अपना निवास भारत बताया है। जबकि एक-एक ने क्रमश: निवास पेरिस और लंदन बताया है। एक के निवास की जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई है। निष्क्रिय खातों को 2020 तक रखा जाएगा, अगर इस दौरान इनका दावेदार नहीं आया तो इन अकाउंट्स को क्‍लोज कर दिया जाएगा। स्विस नैशनल बैंक (SNB) ने हाल में एक आंकड़ा जारी किया था, जिसमें स्विस बैंकों में जमा भारतीयों के पैसे के बारे में बड़ा खुलासा किया गया था। स्विस नेशनल बैंक के आंकड़े के मुताबिक, 2017 में भारतीयों का पैसे में करीब 50 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। स्विस बैंकों में भारतीयों का पैसा 1.01 अरब सीएचएफ (स्विस फ्रैंक) यानी करीब 7,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। स्विस बैंकों में भारतीयों के खातों की जानकारी के संबंध में मोदी सरकार ने स्विट्जरलैंड सरकार के साथ एक समझौता किया है, जिसके तहत अगले साल से भारत को ऑटोमैटिक डेटा मिलना शुरू हो जाएगा।

खाताधारकों के नाम

- पियरे वाचक (मुंबई)
- बर्नेट रोमेयर (मुंबई)
- बहादुर चंद्र सिंह (देहरादून)
- डॉ.मोहन लाल (पेरिस)
- सुच्चा योगेश प्रभुदास (लंदन)
- किशोर लाल (अज्ञात)

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