निर्भया केस : फांसी की रस्सियों को मुलायम रखने के लिए तिहाड़ ने मंगाए पके हुए केले

By: Pinki Tue, 14 Jan 2020 09:51:28

निर्भया केस : फांसी की रस्सियों को मुलायम रखने के लिए  तिहाड़ ने मंगाए पके हुए  केले

निर्भया गैंगरेप के चारों दोषियों को मौत की सजा के लिए दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने डेथ वॉरंट जारी कर दिया गया है। चारों दोषियों को 22 जनवरी को सुबह 7 बजे एक साथ तिहाड़ की जेल नंबर-3 में फांसी पर लटकाया जाएगा। इस बीच तिहाड़ जेल प्रशासन तैयारियों में जुटा हुआ है। अब फांसी की रस्सियों के लिए पके हुए केलों की मांग की गई है, जिससे इन रस्सियों को मुलायम बनाए रखा जा सके। इन रस्सियों का ट्रायल हो चुका है। इसमें निर्भया के दोषियों की डमी को सूली पर चढ़ाया गया था। रस्सियों को मुलायम बनाए रखने के लिए पहले मक्खन का इस्तेमाल भी किया गया था। इन्हें रपटीला बनाए रखना जरूरी है ताकि फांसी की गांठ आसानी से ऊपर-नीचे हो पाए। जेल अधिकारियों ने बताया कि वे कुछ किलो केले खरीदेंगे और उन्हें पीसकर चारों रस्सियों पर लगाएंगे। ये वही रस्सियां हैं जिनका डमी के गले में डालकर ट्रायल लिया गया है। फांसी वाले दिन जल्लाद रस्सियों पर अन्य चिकनाई वाली चीज भी लगाएगा। यह भी पता चला है कि रस्सी का टेस्ट दोषी के वजन से कुछ फालतू वजन वाले डमी या सैंड बैग से होता है ताकि रस्सी कितना वजन झेल सकती है, यह पता चल सके।

माना जा रहा है कि जेल प्रशासन इनकी फांसी के लिए इस्तेमाल होने वाली चार रस्सियों के अलावा बैकअप में रखी गईं अन्य 8 रस्सियों पर भी ट्रायल करेगा। बताया जा रहा है कि अभी तक के ट्रायल कामयाब तो रहें हैं, लेकिन उनमें समय अधिक लग रहा है। इसलिए और ट्रायल करके समय कम करने की कोशिश की जाएगी। दूसरा आपस में को-ऑर्डिनेशन में जहां भी कमी दिख रही है, उसे भी दुरुस्त किया जाएगा।

सूत्र बताते हैं कि जेल अधिकारियों ने फंदे के लिए चारों दोषियों के गले का नाप लिया था। इस दौरान वे रोने लगे और जेल अधिकारियों से उन्हें छोड़ने की गुजारिश करने लगे। बाद में उन्हें काउंसलर की मदद से शांत करवाया गया।

जेल अधिकारी ने बताया कि प्रक्रिया का पूरी तरह से पालन करना जरूरी होता है, वर्ना यह किसी कत्ल की तरह होगा। उन्होंने बताया कि कैदी जितना भारी होगा, उसे उतना कम ऊपर से लटकाया जाता है।

बता दे, निर्भया गैंगरेप केस में दो दोषियों के क्यूरेटिव पिटीशन पर सुप्रीम कोर्ट आज सुनवाई करेगा। जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस रोहिंटन फली नरीमन, जस्टिस आर। भानुमति और जस्टिस अशोक भूषण की पांच जजों वाली पीठ विनय शर्मा और मुकेश की ओर से दायर की गई याचिकाओं पर सुनवाई करेगी। पहले विनय शर्मा ने क्यूरेटिव पिटीशन दायर की थी। इसके बाद दोषी मुकेश ने भी पिटीशन दायर की। 16 दिसंबर, 2012 को निर्भया के साथ बेहरमी से गैंगरेप किया गया था। इलाज के दौरान निर्भया की मौत हो गई थी। इसके बाद सभी छह आरोपियों को गिरफ्तार कर दुष्कर्म और हत्या का मामला दर्ज किया गया था। आरोपियों में से एक नाबालिग था, जोकि एक किशोर (जुवेनाइल) अदालत के सामने पेश किया गया। वहीं एक अन्य आरोपी ने तिहाड़ जेल में आत्महत्या कर ली थी।

बाकी बचे चार दोषियों को सितंबर 2013 में एक ट्रायल कोर्ट ने मौत की सजा सुनाई थी और मार्च 2014 में दिल्ली हाईकोर्ट ने भी इस सजा को बरकरार रखा। इसके बाद मई 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने भी सजा में कोई बदलाव नहीं किया और अदालत ने दोषियों की पुनर्विचार याचिकाओं को भी खारिज कर दिया।

बता दे, निर्भया गैंगरेप के दोषियों को फांसी देने के लिए तिहाड़ जेल प्रशासन ने बताया कि हमने गुरुवार को उत्तर प्रदेश के जेल अधिकारियों को पत्र लिखा है और उपलब्धता के आधार पर दो जल्लादों की सेवा मांगी है। यूपी के जेल विभाग की ओर से तिहाड़ में जल्लाद भेजे जाने के लिए हामी भर दी गई है। तिहाड़ जेल ने यूपी से दो जल्लाद मांगे हैं। कानपुर में रहने वाला जल्लाद बूढ़ा हो गया है, इसलिए उम्मीद है कि मेरठ वाला जल्लाद ही इन चारों को फांसी पर लटकाएगा। आधिकारिक तौर पर देश में दो ही जीवित जल्लाद हैं। दोनों यूपी के ही रहनेवाले हैं। इनमें से एक मेरठ निवासी पवन कुमार हैं, जो निर्भया के गुनाहगारों को फांसी पर लटकाएंगे। दूसरे का नाम इलियास उर्फ अली है, जो लखनऊ के रहने वाले हैं। इन दोनों के अलावा फिलहाल देश में कोई भी पेशेवर जल्लाद नहीं है। इससे पहले देश में जितनी भी फांसी हुईं वो पवन के दादा कालू जल्लाद, पिता मामू जल्लाद, पंजाब के फकीरा जल्लाद या फिर कोलकाता के नाटा जल्लाद ने दीं। इनमें से अब कोई भी जिंदा नहीं है। पवन के परिवार में चार पीढ़ियों से जल्लाद का काम होता आ रहा है। जल्लाद की पारिवारिक विरासत को निभाने वाले पवन परिवार की चौथी पीढ़ी हैं।

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