म्यांमार में सैन्य तख्तापलट, सेना ने देश को एक साल के लिए कब्जे में लिया
By: Pinki Mon, 01 Feb 2021 08:57:06
10 साल पहले डेमोक्रेसी सिस्टम अपनाने वाले म्यांमार में दोबारा सैन्य शासन लौट आया है। न्यूज एजेंसी एपी के मुताबिक, सेना ने सोमवार तड़के देश की स्टेट काउंसलर आंग सान सू की (Aung San Suu Kyi), प्रेसिडेंट यू विन मिंट के साथ कई सीनियर नेताओं और अफसरों को गिरफ्तार कर लिया है। इसके बाद सेना के टीवी चैनल ने बताया कि एक साल के लिए मिलिट्री ने देश को कंट्रोल में ले लिया है।
सू कीआंग सान की नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी (एनएलडी) के प्रवक्ता ने मायो नयुंट ने सोमवार को कहा कि म्यांमार की सेना ने देश के वास्तविक नेता आंग सान सू की को हिरासत में लिया है। प्रवक्ता मायो नयुंट ने कहा कि सू की और राष्ट्रपति विन म्यिंट को राजधानी नैपीडॉ में नजरबंद कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि देश में जो हालात हैं, उससे यह साफ है कि सेना तख्तापटल कर रही है। न्यूंट ने यह भी कहा कि पार्टी की सेंट्रल एग्जीक्यूटिव कमेटी के 2 मेंबर्स भी हिरासत में हैं। हमारे मेंबर्स ने बताया है कि मुझे भी हिरासत में लिए जाने की तैयारी है। मेरी बारी जल्द ही आएगी।
2011 तक देश में सेना का शासन रहा
सेना की इस कार्रवाई से सरकार में तनाव और सेना के तख्तापलट के संकेत मिल रहे हैं। म्यांमार में 2011 तक सेना का ही शासन रहा। आंग सान सू की ने कई साल तक देश में लोकतंत्र लाने के लिए लड़ाई लड़ी। इस दौरान उन्हें लंबे वक्त तक घर में नजरबंद रहना पड़ा।
राजधानी में फोन और इंटरनेट बंद
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, देश की राजधानी नेपाईतॉ में टेलीफोन और इंटरनेट सर्विस सस्पेंड कर दी गई हैं। हाल में चुने गए पार्लियामेंट के लोअर हाउस को सोमवार को बुलाया गया था, लेकिन सेना ने इसे टालने का ऐलान कर दिया।
म्यांमार में बीते 8 नवंबर को चुनाव हुए थे। सैन्य शासन खत्म होने के बाद देश में दूसरी बार ये चुनाव हुए थे। स्पूतनिक के अनुसार, जनवरी में म्यांमार की सेना ने इसमें धोखाधड़ी का आरोप लगाकर तख्तापलट की आशंका जताई थी।
बता दें कि म्यांमर के कमांडर इन चीफ सीनियर जनरल मिल आंग लाइंग ने बुधवार को वरिष्ठ अधिकारियों के साथ वार्ता में कहा था कि 'देश में यदि कानून का उचित तरीके से लागू नहीं किया जाएगा तो संविधान को रद्द किया जा सकता है।' उनके इस बयान के बाद म्यांमार में सियासत गरम हो गई थी। तख्तापलट को लेकर आशंका तब और प्रबल हो गई, जब कई बड़े शहरों में सड़कों पर बख्तरबंद वाहनों को तैनात किया जाने लगा। हालांकि, इसके बाद सेना ने कहा कि कुछ संगठनों और मीडिया ने यह बात बिना किसी आधार के कही है कि सेना ने संविधान को रद्द करने की धमकी दी है।