राहुल गांधी नाराज, खतरे में अशोक गहलोत की कुर्सी, राजस्थान में 130 रैलियों में से 93 सिर्फ बेटे के समर्थन में की
By: Pinki Tue, 28 May 2019 10:34:45
राजस्थान में पिछले साल के आखिरी में हुए विधानसभा चुनाव में जीत के बावजूद लोकसभा में कांग्रेस अपना खाता खोलने में असफल रही जिसका खामियाजा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को उठाना पड़ सकता है। पिछले दिनों कांग्रेस कार्यसमिति (CWC) की बैठक में राहुल गांधी ने बेटे वैभव गहलोत को टिकट दिलाने को लेकर अशोक गहलोत पर सवाल उठाए। उसके बाद राजस्थान कांग्रेस के नेताओं ने भी गहलोत की मुश्किलें बढ़ा दी है। कई मंत्रियों और विधायकों ने मांग की है कि इस चुनावी शिकस्त के लिए जवाबदेही तय करने के साथ कार्रवाई होनी चाहिए। माना जा रहा है कि गहलोत पर इस्तीफे का दबाव है, जिसके लिए गहलोत तैयार नहीं हैं।
गहलोत के बेटे वैभव गहलोत जोधपुर से चुनाव लड़े थे और उन्हें हार का सामना करना पड़ा। जबकि गहलोत जोधपुर में अपने बेटे के पक्ष में प्रचार के लिए कई दिनों तक डंटे रहे थे। उन्होंने 130 सभाएं की जिसमें से 93 सिर्फ अपने बेटे के समर्थन में किये। सूत्रों के मुताबिक, इन्हीं वजहों से राहुल गांधी ने नाराजगी जताई।
इससे पहले राहुल ने शनिवार को बैठक के दौरान कहा था कि कई नेताओं ने पार्टी से ऊपर अपने परिवार को रखा। बेटों को टिकट दिलाने और चुनाव जिताने में लगे रहे। इन नेताओं ने दूसरे स्थानों पर ध्यान नहीं दिया। राहुल के इस बयान के बाद राजस्थान में पार्टी नेतृत्व पर सवाल खड़े होने लगे हैं। कई मंत्रियों ने लोकसभा में हार की जिम्मेदारी तय किए जाने की बात कही। सीडब्ल्यूसी में मौजूद नेताओं के मुताबिक, राहुल ने बैठक के दौरान किसी भी नेता की जिम्मेदारी पर चर्चा नहीं की, बल्कि खुद इस्तीफे की पेशकश की। कांग्रेस कार्यकारिणी की बैठक में राहुल गांधी चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस नेताओं के ढीलेपन को लेकर उन पर निशाना साधा था। उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी के कई नेताओं ने पार्टी से आगे अपने बेटों को रखा और उन्हें टिकट दिलाने के लिए दबाव बनाया। राजस्थान में लोकसभा की 25 सीटें हैं। बीजेपी ने 24 और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी ने एक सीट पर जीत दर्ज की है। 2014 के लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस राजस्थान में खाता खोलने में असफल रही थी।
राहुल गांधी के बयान के बारे में पूछे जाने पर मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा कि गांधी की बात को संदर्भ से अलग करके पेश किया गया, हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि संगठन या पार्टी शासित राज्यों की सरकारों में बदलाव के लिए कांग्रेस अध्यक्ष कोई भी फैसला करने के लिए अधिकृत हैं।
'हार के लिए जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई हो'
- राजस्थान के ट्रांसपोर्ट मंत्री प्रताप सिंह खचारियावास ने कहा, ''सीडब्ल्यूसी ने राहुल गांधी को जवाबदेही तय करने का पूरा अधिकार दिया है। वे उसका इस्तेमाल करेंगे।'' राहुल के बयान को लेकर खचारियावास ने कहा, ''राहुल को यह कहने का पूरा अधिकार है। कोई भी उनसे ऊपर नहीं है। उन्होंने इस पर विचार करने के बाद ही कहा होगा। कांग्रेस के सभी कार्यकर्ता और नेता उनके इस बयान का सम्मान करते हैं।''
- राज्य के दूसरे मंत्री भंवरलाल मेघवाल ने कहा, ''हार की जिम्मेदारी तय होनी चाहिए। राहुल गांधी ने जो कहा, वह सही है। ऐसे लोगों पर कार्रवाई होनी चाहिए। इससे कार्यकर्ताओं में अच्छा संदेश जाएगा।''
- सहकारिता मंत्री उदय लाल आंजना और नागरिक आपूर्ति मंत्री रमेश मीणा ने कहा कि पार्टी को हार के कारणों की समीक्षा करनी चाहिए। जिससे पार्टी दोबारा वापसी करे और आने वाले चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करे।
- इसके अलावा यह भी खबरें हैं कि कृषि मंत्री लालचंद्र कटारिया ने हार की जिम्मेदारी स्वीकारते हुए इस्तीफे की पेशकश की थी। हालांकि, इसे लेकर कोई अधिकारिक पुष्टि नहीं हुई। न्यूज एजेंसी के मुताबिक, कई विधायकों ने नाम ना उजागर करने की शर्त पर कहा कि पार्टी में हार की जिम्मेदारी तय होनी चाहिए।
- अंजना ने सोमवार को जयपुर में कहा कि लोकसभा चुनावों के परिणाम आशाओं के विपरीत थे। बीजेपी द्वारा उठाए गए राष्ट्रवाद के मुद्दे से मतदाताओं को प्रभावित किया गया था। हमारे नेताओं ने भी पूरे प्रयास किए लेकिन यह लोगों को स्वीकार्य नहीं था। मीणा ने कहा कि कि इस समय पार्टी के उम्मीदवारों, वर्तमान और पूर्व विधायकों, पूर्व सांसदों और पदाधिकारियों से विस्तृत समीक्षा कर फीडबैक लिया जाना चाहिए।
नाम नहीं जाहिर करने की शर्त पर कई विधायकों ने कहा कि जवाबदेही तय करना प्राथमिकता होनी चाहिए। हनुमानगढ़ जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के सी बिश्नोई ने चुनावी हार के लिए गहलोत पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘संगठन ने कड़ी मेहनत की और पार्टी को राज्य की सत्ता में वापस लेकर आए। परंतु तीन महीनों के भीतर लोग सरकार से नाराज हो गए। मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी होनी चाहिए। उन्हें इस्तीफे की पेशकश करनी चाहिए।’’