देश में अगले साल हो सकते हैं 11 राज्यों में एक साथ चुनाव, भाजपा ने बताया सही!

By: Pinki Tue, 14 Aug 2018 07:45:14

देश में अगले साल हो सकते हैं 11 राज्यों में एक साथ चुनाव, भाजपा ने बताया सही!

चुनाव में होने वाले खर्च पर अंकुश लगाने के लिए देश में एक साथ चुनाव कराने का भाजपा ने समर्थन किया है। सूत्रों से मिली जानकारी से इस बात का पता चला है कि अगले साल देश के 11 राज्यों में एक साथ चुनाव कराए जा सकते हैं। इसके लिए अभी से ही तैयारियां भी शुरू कर दी गई हैं। सूत्रों के अनुसार भाजपा के इस रुख के बाद देश के तीन राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव को विलंबित किया जा सकता है। इतना ही नहीं 2019 में जिन राज्यों में चुनाव होने हैं उसे भी एक ही साथ कराया जा सकता है। हालांकि अभी तक इस बात की औपचारिक तौर पर पुष्टि नही की गई है। पार्टी से जुड़े सूत्रों ने बताया कि राज्यों का चुनाव विलंबित करने या पहले कराने को लेकर कोई ठोस प्रस्ताव नहीं है और इस विचार पर पार्टी के भीतर औपचारिक रूप से चर्चा नहीं की गई है। ऐसा इसलिए भी क्योंकि ऐसे कदमों की संवैधानिक वैधता का भी ध्यान में रखना होगा। हालांकि इन सब के बीच अगले साल मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ विधानसभाओं का कार्यकाल खत्म होने के बाद इन राज्यों में कुछ समय के लिए राष्ट्रपति शासन लगाने की अटकलों को भी झुटलाया नहीं गया है। वहीं इन सब के बीच खबर आ रही है कि देश में एक साथ चुनाव कराने को लेकर एक सर्वदलिय बैठक भी बुला सकती है सरकार।

सर्वदलीय बैठक बुलाने पर विचार

- केंद्र सरकार लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एकसाथ कराने पर आमसहमति बनाने के लिए एक सर्वदलीय बैठक बुलाने पर विचार कर रही है।
- यह बैठक विधि आयोग द्वारा इस मामले में कानूनी ढांचे की सिफारिश के बाद आयोजित की जा सकती है।
- सरकार से जुड़े सूत्रों के अनुसार एक साथ चुनाव कराने के मुद्दे पर नेताओं के बीच चर्चा का दायरा बढाने के लिए आगामी दिनों में सर्वदलीय बैठक बुलाई जा सकती है, लेकिन बैठक बुलाने को लेकर अभी अंतिम निर्णय नहीं हुआ है।
- सूत्रों से इस बात का भी पता चला है कि सरकार विधि आयोग की रिपोर्ट का इंतजार कर रही है जो दोनों चुनाव एक साथ कराने के लिए कानूनी ढांचा पेश करेगी। रिपोर्ट सरकार के पास आने के बाद उस पर चर्चा के विस्तृत बिन्दु होंगे। ध्यान हो कि चुनाव एक साथ कराने की व्यावहारिकता की जांच कर रहे आयोग ने इससे पहले अपनी रिपोर्ट को अंतिम रूप देने से पहले राजनीतिक दलों से नजरिया पूछा था।

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