लोन के नाम पर जालसाजी, फर्जी कॉल सेंटर बना की 2.5 करोड़ की ठगी
By: Ankur Wed, 12 Aug 2020 2:29:37
वर्तमान समय में देखा जा रहा हैं कि अपराधी तकनिकी का इस्तेमाल कर ठगी कर रहे हैं। कई ऐसा मामले सामने आते हैं जब लोगों को फायदा पहुंचाने के नाम पर उनसे ठगी की जाती हैं। ऐसा ही एक गिरोह दिल्ली पुलिस की विशेष शाखा की साइबर सेल द्वारा पकड़ा गया हैं जिन्होनें फर्जी कॉल सेंटर बना रखा था और लोन दिलाने के नाम पर ठगी करते हैं। गिरोह का पर्दाफाश करते हुए टेलीकॉम कंपनी के सेल्स प्रमोटर व गिरोह सरगना समेत सात आरोपियों को गिरफ्तार किया है। आरोपी रिलायंस कैपिटल से लोन दिलाने का झांसा देते थे और रिलायंस कैपिटल के फर्जी कागजात व साइट भी बना रखी थी।
आरोपी हर महीने 20 से 25 लोगों ठगी करते थे। पूछताछ में पता चला है कि आरोपी करीब 500 लोगों से 2.5 करोड़ रुपये ज्यादा की ठगी कर चुके हैं। ये लोग विदेशियों की आईडी पर जारी किए गए फर्जी सिमकार्ड ठगी के लिए इस्तेमाल करते थे।
साइबर सेल के डीसीपी अन्येश रॉय ने बताया कि पवन कुमार नामक व्यक्ति ने शिकायत दी थी कि वह पर्सनल लोन के लिए ऑनलाइन सर्च कर रहे थे। इसी दौरान अरिलायंस कैपिटल का नंबर मिला। दिए गए नंबर पर फोन किया तो फोन उठाने वाले युवक ने सस्ती ब्याज दर पर लोन दिलाने की बात कही। आरोपियों ने उनसे विभिन्न बैंक खातों में दो लाख रुपये जमा करा लिए। आरोपियों ने एक आईडी से मेल पवन कुमार को भेजा जो रिलायंस कैपिटल के जैसा लग रहा था। आरोप है कि बाद में आरोपियों ने अपना मोबाइल बंद कर लिया।
एसआई सुनील, विजेन्द्र व एएसआई आर। सुब्रामोनियन की टीम ने जांच शुरू की। इस दौरान एसआई विजेन्द्र की टीम ने टेलीकॉम कंपनी के इंडिया सेल्स प्रमोटर पवन मित्तल को गिरफ्तार कर लिया। रोहिणी निवासी पवन आरोपियों के फर्जी सिम कार्ड को चालू करवाता था और इससे ठगी करते थे।
पूछताछ के बाद गिरोह के मास्टरमाइंड उत्तम नगर निवासी मो। इरफान सैफी (28), सागरपुर निवासी विशाल तिवारी (21), विधाता (21), अमित कुमार (23), फतेह नगर निवासी ज्ञान सिंह (39) और ख्याला निवासी रिषभ मोहम्मद (25) को गिरफ्तार कर लिया। मो। इरफान रणहौला के विकास नगर में फर्जी कॉल सेंटर चला रहा था।
सस्ते लोन के लिए जारी करते थे विज्ञापन
आरोपी सस्ते में लोन दिलाने के लिए कई प्लेटफार्म के जरिए विज्ञापन जारी करते थे। विज्ञापन में इनका नंबर होता था। कोई फोन करता था तो आरोपी फीस व जीएसटी आदि के नाम पर मोटी रकम पहले ही अपने फर्जी आईडी से खोले गए बैंक खातों में जमा करा लेते थे। डीयू के ओपन लर्निंग से बीए कर रहे विशाल, विधाता और अमित तय सैलरी पर काम करते थे।
विदेशियों की आईडी पर जारी किए हुए थे सिमकार्ड
पुलिस अधिकारियों के अनुसार पवन मित्तल वोडाफोन कंपनी में कई महीनों से काम कर रहा था। वह आरोपियों को फर्जी सिमकार्ड देता था। वह विदेशियों की आईडी पर फर्जी सिमकार्ड जारी करता था और विदेशियों की तस्वीर का ही इस्तेमाल करता था। ज्ञानसिंह और रिषभ मोहम्मद पवन के साथी हैं। आरोपियों के कब्जे से कई फर्जी सिमकार्ड बरामद किए गए हैं।
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