बच्चों का संवेदनशील होना रोकता है उनका मानसिक विकास, इस तरह रखें उनका ख्याल

By: Ankur Thu, 25 Apr 2019 09:37:32

बच्चों का संवेदनशील होना रोकता है उनका मानसिक विकास, इस तरह रखें उनका ख्याल

बच्चों की परवरिश करना कोई आसान काम नहीं हैं। इसके लिए माता-पिता को बच्चों के अनुरूप ढ़लना पड़ता है और उसी अनुरूप उनकी समझाइश करनी होती हैं। कई बच्चे ऐसे होते है जो संवेदनशील होते है और छोटी सी बात को भी दिल से लगा लेते हैं। ऐसे में बच्चों के अनुसार उनकी समझाइश की जाती है और परवरिश में एहतियात बरता जाता हैं। आज हम आपको उन्हीं तरीकों के बारे में बताने जा रहे हैं जिनकी मदद से संवेदनशील बच्चों का अच्छे से ख्याल रखा जा सकता हैं। आइये जानते है इसके बारे में।

* बच्चे का हौसला गिराने से बचें

अगर बच्चे के रवैये से ऊबकर आप उसकी शिकायतें दूसरे लोगों और रिश्तेदारों से लेकर बैठ जाती हैं तो आप गलत कर रही हैं। अपने लिए बार-बार शिकायतों को सुनना और दूसरों के सामने खुद को कटघरे में खड़ा महसूस करना बच्चे को हीनभावना से ग्रसित कर देता है। खाता नहीं है, पढ़ता नहीं है, नालायक है, जैसी बातें उसके हौसलों को तोड़कर रख देती हैं। ऐसी बातों से बचें। जितना हो सके अपनी उम्मीदों को उस पर न थोपें। हां, अच्छी बातों पर उसका हौसला जरूर बढ़ाएं।

* सब्र से काम लें

संवेदनशील बच्चे भावनाओं से ओतप्रोत होते हैं। इनको समझने और समझाने के लिए आपको सबसे पहले खुद में सब्र लाना जरूरी है। आपका धैर्य खोना उनकी भावनाओं को चोट पहुंचा देता है। बच्चे को समय दें , उससे बातें करें और अगर कोई काम उससे करवाना चाहती हैं तो उसको उस काम को करने के लिए राजी होने का मौका दें।

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* रखें उसकी भावनाओं का ख्याल

हम अकसर ही बच्चों पर अपना पूरा अधिकार समझते हुए उन्हें कहीं भी डांट लगा देते हैं, लेकिन संवेदनशील बच्चे इन्हीं बातों को दिल से लगा बैठते हैं। उनका सोचने का तरीका नकारात्मक होने लगता है और धीरे-धीरे उन्हें सामान्य-सी बात समझाना भी मुश्किल पड़ने लगता है। बच्चों की भावनाओं की जिम्मेदारी आपकी है। उसे चोट न पहुंचने दें। अपने बच्चे को अकेले में मौका देखकर समझाएं। किसी कारणवश सबके बीच डांटना पड़ा भी तो बाद में उसे उस डांट का कारण देकर तसल्ली दें। जब बच्चे को आपका टोकना पसंद नहीं आता तो जाहिर है दूसरों का बिल्कुल नहीं आएगा। ऐसे में अपने बच्चे की संवेदनशीलता के बारे में पहले ही टीचर और दूसरों को बता दें तकि बच्चा उन लोगों के बीच सहज महसूस कर सके।

* न लाएं नियमों में बदलाव

बच्चे की संवेदनशीलता का ध्यान रखते समय इस बात का ख्याल भी जरूरी है कि कहीं वो बिगड़ न जाए। बच्चे के लिए मां बदल सकती है, लेकिन दुनिया नहीं। ध्यान रखें कि बड़े होकर उसको भी जीवन के उतार-चढ़ाव देखने होंगे। इसके लिए आप बच्चे से अपने घर के नियमों का पालन जरूर करवाइए। बच्चे के लिए नियम तोड़ना उसे जिद्दी बना देगा। इसके साथ ही आपको भी बच्चे की दिनचर्या का पूरा ध्यान रखना होगा। संवेदनशील बच्चे बदलावों को आसानी से स्वीकार नहीं कर पाते।

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