कहीं आपके पति तो नहीं डिप्रेशन का शिकार, इस तरह रखें उनका ध्यान
By: Priyanka Mon, 16 Dec 2019 6:31:55
उम्र के साथ-साथ जिम्मेदारियां भी बढ़ने लगती हैं। आज के लोग पहले की अपेक्षा छोटी-छोटी बातों से ज्यादा परेशान रहते हैं। स्ट्रेस, तनाव, डिप्रेशन, डिमेंशिया, अल्जाइमर आदि ऐसी बीमारियां हैं, जिनसे न जाने कितने लोग परेशान हैं। युवाओं में इन दिनों डिप्रेशन की समस्या तेजी से बढ़ी है। ऐसे में अगर आपके पति भी डिप्रेशन का शिकार है तो आप उसका ख्याल कैसे रख सकते हैं? आज हम आपको बताएंगे ऐसे कुछ आसान तरीके, जिनसे आप डिप्रेशन से जूझ रहे पति का ख्याल रख सकती हैं-
गुस्सा न करें
अगर आपके पति डिप्रेशन से ग्रसित हैं तो उनके स्वभाव में परिवर्तन आने की काफी संभावना होती है। उनके मूड स्विंग्स होते रहते हैं।ऐसे में वो अगर कोई गलती करते हैं, तो आपको उन पर गुस्सा नहीं करना चाहिए। दरअसल डिप्रेशन में व्यक्ति की क्रियाओं और हरकतों पर उसका जोर नहीं रहता है।
अकेला न छोड़ें
अगर आपके पति डिप्रेशन में है, तो उन्हें ज्यादा देर तक अकेला न छोड़ें। दरअसल डिप्रेशन में व्यक्ति को अपने भले-बुरे का भी होश नहीं रहता है और कई बार वो अपना या किसी अन्य का नुकसान कर सकता है। इसलिए आपको अपने पति का साथ नहीं छोड़ना चाहिए।
खुद को उनकी जरूरतों के अनुसार ढालें
आमतौर पर डिप्रेशन से प्रभावित व्यक्ति को किसी बात के लिए समझाना या मनाना आसान होता है। इसलिए अगर आपके पति को ऐसी समस्या हो गई है, तो आपको उनके हिसाब से खुद को ढालने का प्रयास करते रहना चाहिए। इसके साथ-साथ ही उन्हें उचित मेडिकल जांच, दवाएं और थेरेपीज दिलाते रहें, ताकि वो जल्दी ठीक हो सकें।
बीमारी के हर पहलू से वाकिफ रहें
अगर आपके पति को डिप्रेशन की बीमारी हो गई है, तो आपको उस बीमारी के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी कर लेनी चाहिए। एंग्जायटी, पैनिक अटैक, डिप्रेशन आदि ऐसी बीमारियां हैं, जिनमें दवाओं से ज्यादा परिवार खासकर पार्टनर का सपोर्ट काम आता है। इसलिए आपको बीमारी के हर पहलू, हर खतरे से वाकिफ रहना चाहिए, ताकि आप अपने पार्टनर की हर परिस्थिति में मदद कर सकें।
डॉक्टर की बताई हर सलाह मानें
डिप्रेशन को ठीक करने के लिए कई बार आपको डॉक्टरों के अलावा साइकोलॉजिस्ट और थेरेपिस्ट की मदद भी लेनी पड़ सकती है। इसलिए अगर आपके पति को ऐसी समस्या है, तो आपको डॉक्टरों या थेरेपिस्ट्स के बताई गई हर बात पर अमल करना चाहिए, सभी जांच समय-समय पर करवाते रहना चाहिए और दवाएं खिलाते रहना चाहिए।