जानिए क्या है स्पिरिचुअल पैरेंटिंग और बच्चो के विकास के लिए क्यों है ये जरूरी
By: Priyanka Thu, 07 Nov 2019 10:11:44
बच्चे को क़ामयाब इंसान बनाने से पहले उसे अच्छा इंसान बनाना ज़रूरी है, क्योंकि अच्छा इंसान जहां भी जाता है, वहां अपने अच्छे गुणों से सबको अपना बना लेता है, फिर उसे क़ामयाब होने से कोई नहीं रोक सकता। हर माता पिता चाहते है की उनका बच्चा जीवन के हर क्षेत्र में सफल हो। कठिनाइयो में घबराये नहीं और उसके दिल में दया और प्यार के भाव हमेशा बने रहे। बच्चो में ये सभी गुण तब ही आ पाएंगे जब पेरेंट्स खुद इन बातो को फोलो करते होंगे। अगर शरू से बच्चे को स्पिरिचुअल पेरेंटिंग में पाला जाये तो उसमे इन सभी गुणों को लाने के लिए बाद में ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ेगी स्पिरिचुअलटी हमारे मन से डर, हिंसा, द्वेष और नफरत के भाव को हटाकर हमारे मन में प्यार, विश्वास और अपनापन भर देती है। आईये जाने कैसे के स्पिरिचुअल पेरेंटिंग...
गर्भावस्था से करें इसकी पहल
ये बात वैज्ञानिक रूप से सिद्ध हो चुकी है कि जब बच्चा मां के गर्भ में होता है, तो मां की मन:स्थिति का बच्चे पर भी असर होता है. अतः मां गर्भावस्था में अच्छे वातावरण में रहकर, अच्छी क़िताबें पढ़कर, अच्छे विचारों से बच्चे को गर्भ में ही अच्छे संस्कार देने की शुरुआत कर सकती है. आप भी जब पैरेंट बनने का मन बनाएं, तो अपनी संतान के मां के गर्भ में आते ही उसे अच्छे संस्कार देने की शुरुआत करें।
बोलकर नहीं कर के सिखाये
बच्चे सबसे ज्यादा उन चीजों को या व्यवहारों को सीखते है जो माता पिता उसके सामने करते है।बच्चो को क्या करना चाहिए ये उसे बोलकर बताये बल्कि उन बातो को अपने व्यवहार में शामिल करे । बच्चे कच्ची मिट्टी के घड़े के समान होते हैं, ऐसे में आप उन्हे जैसा आकार देते हैं वो वैसे ही ढ़ल जाते हैं।
बच्चे के गुणों को पहचानें
हर बच्चा अपने आप में ख़ास होता है. हो सकता है, आपके पड़ोसी का बच्चा पढ़ाई में अव्वल हो और आपका बच्चा स्पोर्ट्स में। ऐसे में कम मार्क्स लाने पर उसकी तुलना दूसरे बच्चों से करके उसका आत्मविश्वास कमज़ोर न करें, बल्कि स्पोर्ट्स में मेडल जीतकर लाने पर उसकी प्रशंसा करें. आप उसे पढ़ाई पर ध्यान देने के लिए कह सकते हैं, लेकिन ग़लती सेभी ये न कहें कि फलां लड़का तुमसे इंटेलिजेंट है। ऐसा करने से बच्चे का आत्मविश्वास डगमगा सकता है और उसमें हीन भावना भी आ सकती है।
ईश्वर में आस्था जगाये
बच्चो के लिए सकरात्मक माहौल बनाने के लिए उसकी ईश्वर में आस्था जगाये। लेकिन याद रखे उसे ईश्वर के भरोसे बैठना नहीं ईश्वर पर भरोसा करना सिखाये।
निर्णय लेना सिखाएं
ये सच है कि बच्चे को अच्छे बुरे या सही गलत में फर्क करना नहीं आता है। लेकिन कभी-कभी बच्चे को निर्णय लेने के लिए फ्री छोड़ देना चाहिए। शुरुआत छोटे निर्णयों से करें जैसे उसके दोस्तों का चुनाव , छुट्टी के दिन की प्लानिंग , किसी एक्स्ट्रा करीकुलर एक्टिविटी का चुनाव आदि। जब बच्चा ऐसे छोटे निर्ण लेने में सक्षम हो जाएगा तभी वो आगे चलकर जीवन के बड़े निर्णय ले पाएगा।