उज्जैन का महाकालेश्वर मंदिर, भस्म से होती है भगवान शिव की आरती

By: Ankur Fri, 10 Aug 2018 5:16:08

उज्जैन का महाकालेश्वर मंदिर, भस्म से होती है भगवान शिव की आरती

भगवान शिव के जयकारे चारों तरफ गूँज रहे हैं क्योंकि सावन का महीना चल रहा हैं। सावन के इस महीने में भगवान शिव के सभी मंदिरों मे भीड़ लगी रहती हैं, खासकर भारत के बारह ज्योतिर्लिंगों पर तो दर्शन मात्र के लिए भक्तों की लम्बी कतारे लगी हुई हैं। क्योंकि इन ज्योतिर्लिंगों का शिव की भक्ति में विशेष महत्व माना जाता हैं। इसी महत्व को देखते हुए आज हम आपको इन ज्योतिर्लिंगों में से एक उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं। तो आइये जानते हैं इस मंदिर की विशेषता के बारे में।

भगवान शिव को समर्पित यह मंदिर मध्यप्रदेश राज्य के उज्जैन नगर में स्थित है। पुराणों, महाभारत और कालिदास जैसे महाकवियों की रचनाओं में इस मंदिर का मनोहर वर्णन मिलता है। यूं तो इस मंदिर का काफी महत्व है। यहां भक्तों का तांता लगा रहता है, लेकिन कुंभ के दौरान यहां भीड़ और भी अधिक बढ़ जाती है। इस समय उज्जैन में महाकुंभ चल रहा है, जिसके चलते यह मंदिर सुर्खियों में बना हुआ है।

महाकुंभ मेले में भगवान शिव की भस्म आरती की जाती है और उन्होंने महाकाल की आरती में श्मशान की राख का इस्तेमाल किया जाता हैं। इसी भस्म से हर सुबह महाकाल की आरती होती है। दरअसल यह भस्म आरती महाकाल का श्रृंगार है और उन्हें जगाने की विधि है।

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ऐसी मान्यता है कि वर्षों पहले श्मशान के भस्म से भूतभावन भगवान महाकाल की भस्म आरती होती थी लेकिन अब यह परंपरा खत्म हो चुकी है और अब कंडे के बने भस्म से आरती श्रृंगार किया जा रहा है। इस आरती का एक नियम यह भी है कि इसे महिलाएं नहीं देख सकती हैं। इसलिए आरती के दौरान कुछ समय के लिए महिलाओं को घूंघट करना पड़ता है।

आरती के दौरान पुजारी एक वस्त्र धोती में होते हैं। इस आरती में अन्य वस्त्रों को धारण करने का नियम नहीं है। महाकाल की आरती भस्म से होने के पीछे ऐसी मान्यता है कि महाकाल श्मशान के साधक हैं और यही इनका श्रृंगार और आभूषण है। महाकाल की पूजा में भस्म का विशेष महत्व है और यही इनका सबसे प्रमुख प्रसाद है। ऐसी धारणा है कि शिव के ऊपर चढ़े हुए भस्म का प्रसाद ग्रहण करने मात्र से रोग दोष से मुक्ति मिलती है।

उज्जैन में महाकाल के प्रकट होने के विषय में कथा है कि दूषण नाम के असुर से लोगों की रक्षा के लिए महाकाल प्रकट हुए थे। दूषण का वध करने के बाद भक्तों ने जब शिव जी से उज्जैन में वास करने का अनुरोध किया तब महाकाल ज्योतिर्लिंग प्रकट हुआ।

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