पक्षियों की 315 प्रजातियों का घर है - राजाजी नेशनल पार्क
By: Priyanka Maheshwari Mon, 30 Apr 2018 08:18:09
भारत जितना खूबसूरत देश है उसका वन्य जीवन या वाइल्ड लाइफ उतनी ही विशाल है क्यों कि भारत के वन्य जीवन में जीवों की विभिन्न प्रकार की प्रजातियों का मिश्रण शामिल है। ज्ञात हो कि भारत के अलग अलग वन्यजीव अभ्यारण्य हमेशा से ही आकर्षण का केंद्र रहे हैं। चाहे खूंखार भेड़िया हो, दहाड़ता शेर हो, चालाक लोमड़ी हो या फिर घास के हरे भरे मैदान में अठखेलियां करते हिरनों और नीलगायों का झुंड। आज हमारा भारत अलग अलग प्रकार के कई सारे जीव जंतुओं और वनस्पतियों का घर है।
यहां के जंगलों में आपको वो सब मिल जायगा जिसकी कल्पना आपने की होगी। ज्ञात हो कि वन्य जीवन प्रकृति की एक अमूल्य देन है जो अपने आप में बेमिसाल है। तो इसी क्रम में आज हम आपको अवगत करा रहे हैं हिमालय की गोद में बसे एक ऐसे नेशनल पार्क से जिसकी यात्रा आपको एक ऐसा अनुभव देगी जिसे आप कभी नहीं भूल पाएंगे। जी हां हम बात कर रहे हैं ऋषिकेश की वादियों में बसे राजाजी नेशनल पार्क की।
राजाजी राष्ट्रीय पार्क ऋषिकेश से 6 किमी की दूरी पर स्थित है और 820.42 वर्ग किमी के क्षेत्र में फैला है। सन् 1983 में स्थापित यह पार्क मोतीचूर अभ्यारण, चिल्ला अभ्यारण्य और राजाजी अभ्यारण्य नामक अभ्यारण्यों से मिलकर बना है। इस पार्क का नाम प्रसिद्ध स्वतन्त्रता सेनानी और राजनेता श्री राजगोपालाचारी के नाम पर रखा गया है। भारत के प्रमुख वन्यजीव अभ्यारण्यों में गिना जाना वाला यह पार्क पक्षियों की 315 प्रजातियों और स्तनपायी की 23 प्रजातियों का घर है। आपको बताते चलें कि गंगा नदी पार्क में 24 किमी की दूरी तय करती है। पार्क में साल, पश्चिमी गंगा के नमी वाले जंगल, उत्तरी शुष्क पतझड़ वाले वन और खैर-शीशम के जंगल पाये जाते हैं। पर्यटकों के लिये पार्क प्रतिवर्ष 15 नवम्बर से 15 जून के बीच खुला रहता है। पर्यटक अपने 34 किमी लम्बे जंगल सफारी के दौरान पहाड़ियों की सुन्दरता, घाटियों और नदियों के मनोरम दृश्य का आनन्द ले सकते हैं।
राजाजी राष्ट्रीय पार्क ऋषिकेश से 6 किमी की दूरी पर स्थित है और 820.42 वर्ग किमी के क्षेत्र में फैला है। सन् 1983 में स्थापित यह पार्क मोतीचूर अभ्यारण, चिल्ला अभ्यारण्य और राजाजी अभ्यारण्य नामक अभ्यारण्यों से मिलकर बना है।
इस पार्क का नाम प्रसिद्ध स्वतन्त्रता सेनानी और राजनेता श्री राजगोपालाचारी के नाम पर रखा गया है।
भारत के प्रमुख वन्यजीव अभ्यारण्यों में गिना जाना वाला यह पार्क पक्षियों की 315 प्रजातियों और स्तनपायी की 23 प्रजातियों का घर है।
एशियाई हाथी, चीता, भालू, कोबरा, जंगली सुअर, साँभर, भारतीय खरगोश, जंगली बिल्ली और कक्कड़ जैसे जन्तु इस पार्क में पाये जाते हैं। चीता, सुस्त भालू, हिरण और भौंकने वाले हिरण भी इस पार्क में देखे जा सकते हैं।
आपको बताते चलें कि गंगा नदी पार्क में 24 किमी की दूरी तय करती है।
पार्क में साल, पश्चिमी गंगा के नमी वाले जंगल, उत्तरी शुष्क पतझड़ वाले वन और खैर-शीशम के जंगल पाये जाते हैं।
पर्यटकों के लिये पार्क प्रतिवर्ष 15 नवम्बर से 15 जून के बीच खुला रहता है।
ये स्थान ट्रैकिंग के लिए भी एक परफेक्ट डेस्टिनेशन हैं ।यदि आप यहां आ रहे हैं तो ट्रैकिंग के जरिये यहां का लुत्फ़ उठाना न भूलें।
पर्यटक अपने 34 किमी लम्बे जंगल सफारी के दौरान पहाड़ियों की सुन्दरता, घाटियों और नदियों के मनोरम दृश्य का आनन्द ले सकते हैं।