देशभर में नागदेवता के प्रसिद्द 5 मंदिर
By: Ankur Wed, 15 Aug 2018 1:41:30
आज सावन महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि हैं और यह दिन नागपंचमी के पर्व के रूप में मनाया जाता हैं। इस दिन भक्तगण नागदेवता की पूजा करते हैं और सापों को दूध पिलाते हैं। आज नागपंचमी के इस विशेष दिन पर हम आपको देश भर के प्रसिद्द नागदेवता के मंदिरों के बारे में बताने जा रहे हैं जो कि अपनी विशेषता और चमत्कारों के लिए जाने जाते हैं। तो आइये जानते है देशभर के प्रसिद्द नागदेवता के मंदिरों के बारे में।
* भुजंग नाग मंदिर भुज :
गुजरात के भुज नामक क्षेत्र में भुजंग नामक एक नाग मंदिर है। कच्छ जिले के एक गांव में भुज्या नामक पहाड़ पर एक नाग मंदिर है। इस नाग मंदिर में भुजंग नामक नाग देवता की पूजा की जाती है। भुजंग के नाम पर ही इस क्षेत्र का नाम भुज पड़ा है।
* अनंतनाग (कश्मीर) :
जैसा कि नाम से पता चलता है कि इस जगह का नाग से जरूर कोई विशेष संबंध है। इस जगह का नाम भी अनंतनाग सांपों की वजह से ही पड़ा है। कथाओं के अनुसार जब भगवन शिव पार्वती से मिलने के लिए अमरनाथ की ओर प्रस्थान कर रहे थे तो इस स्थान पर शिव ने अपने शरीर से सभी नाग उतार दिए थे। शिव के शरीर से उतरे नाग इस स्थान पर ही रहने लगे और यह क्षेत्र नागों का गढ़ बन गया था। शेषनाग को ही अनंतनाग कहते हैं। शेषनाग भगवान विष्णु की शैया बने हुए हैं तो वासुकी शिव के गले में लिपटे हुए हैं।
* नागचंद्रेश्वर में मंदिर (उज्जैन) :
मध्यप्रदेश के उज्जैन में भगवान महाकाल के मंदिर में सबसे उपर का मंदिर नाग महाराज को समर्पित है। यह वर्ष में एक बार नागपंचमी के दिन ही खुलता है। यह भी प्राचीन मंदिर है। 11वीं शताब्दी के इस मंदिर में शिव पार्वती नाग पर आसीन परमारकालीन सुन्दर प्रतिमा है और छत्र के रूप में नाग का फन फैला हुआ है।
* वासुकि नाग मंदिर (डोडा जम्मू) :
यह भद्रेवाह का सबसे पुराना मंदिर है जो 11वीं सदी में बना था। हिंदू धर्म की पौराणिक कथाओं के अनुसार, वासुकि नागों के राजा हुआ करते थे जिनके माथे पर नागमणि लगी थी। मंदिर में वासुकि भगवान की मूर्ति लगी हुई है जो एक बड़े से पत्थर से बनाई गई है। कैलाश यात्रा से पहले यहां विशेष पूजा को करने का प्रावधान है।
* नाग मंदिर :
नाग (कोबरा) मंदिर कश्मीर के पटनीटॉप का एक प्रमुख देखने योग्य स्थान है। यह मंदिर एक पहाड़ी पर स्थित है तथा सभी ओर से पहाड़ों से घिरा हुआ है। एक विश्वास के अनुसार इस मंदिर में यात्री केवल दिन में ही प्रवेश कर सकते हैं। यह स्थान हमेशा कोहरे में डूबा रहता है और एक मात्र 10 फीट की दूरी तक ही देखा जा सकता है।