Ganesh Chaturthi 2018 : मुंबई का सिद्धिविनायक मंदिर, पूरे विश्व में जाना जाता है अपनी धार्मिक एकता के लिए

By: Ankur Fri, 21 Sept 2018 2:06:14

Ganesh Chaturthi 2018 : मुंबई का सिद्धिविनायक मंदिर, पूरे विश्व में जाना जाता है अपनी धार्मिक एकता के लिए

गणेशोत्सव के दिनों में जितनी धूम मुंबई के लालबागचा राजा में होती हैं, उतनी ही धूम मुंबई के सिद्धिविनायक मंदिर में भी होती हैं। अपनी महत्ता और ख्याति के लिए यह मंदीर पूरे विश्व में जाना जाता हैं। गणेशोत्सव के अलावा भी इस मंदिर में गणपति जी के दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ लगी रहती हैं। गणेशोत्सव के दौरान यह हर रोज औसतन 1 लाख श्रद्धालु आते हैं। आज हम आपको इस सिद्धिविनायक मंदिर की कुछ जानकारी देने जा रहे हैं जो इसके गुणों को दर्शाती हैं। तो आइये जानते हैं मुंबई के सिद्धिविनायक मंदिर के बारे में।

मुंबई स्थित सिद्धिविनायक मंदिर का निर्माण 1801 में विट्ठु और देउबाई पाटिल ने किया था। इस मंदिर में गणपति का दर्शन करने सभी धर्म और जाति के लोग आते हैं। इस मंदिर के अंदर एक छोटे मंडपम में भगवान गणेश के सिद्धिविनायक रूप की प्रतिमा प्रतिष्ठापित की गई है। सूक्ष्म शिल्पाकारी से परिपूर्ण गर्भगृह के लकड़ी के दरवाजों पर अष्टविनायक को प्रतिबिंबित किया गया है। जबकि अंदर की छतें सोने की परत से सुसज्जित हैं।

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गर्भ गृह में भगवान गणेश की प्रतिमा अवस्थित है। उनके ऊपरी दाएं हाथ में कमल और बाएं हाथ में अंकुश है और नीचे के दाहिने हाथ में मोतियों की माला और बाएं हाथ में मोदक (लड्डुओं) भरा कटोरा है। गणपति के दोनों ओर उनकी दोनों पत्नियां रिद्धि और सिद्धि मौजूद हैं जो धन, ऐश्वर्य, सफलता और सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने का प्रतीक है। मस्तक पर अपने पिता शिव के समान एक तीसरा नेत्र और गले में एक सर्प हार के स्थान पर लिपटा है। सिद्धिविनायक का विग्रह ढाई फीट ऊंचा होता है और यह दो फीट चौड़े एक ही काले शिलाखंड से बना होता है।

सिद्घिविनायक गणेश जी का सबसे लोकप्रिय रूप है। गणेश जी के जिन प्रतिमाओं की सूड़ दाईं तरफ मुड़ी होती है वो सिद्घपीठ से जुड़ी होती हैं और उनके मंदिर सिद्घिविनायक मंदिर कहलाते हैं। कहते हैं कि सिद्धि विनायक की महिमा अपरंपार है, वे भक्तों की मनोकामना को तुरंत पूरा करते हैं। मान्यता है कि ऐसे गणपति बहुत ही जल्दी प्रसन्न होते हैं और उतनी ही जल्दी कुपित भी होते हैं।

चतुर्भुजी विग्रह सिद्धिविनायक की दूसरी विशेषता यह है कि वह चतुर्भुजी विग्रह है। इस मंदिर में सिर्फ हिंदू ही नहीं, बल्कि हर धर्म के लोग दर्शन और पूजा-अर्चना के लिए आते हैं। हालांकि इस मंदिर की न तो महाराष्ट्र के ‘अष्टविनायकों’ में गिनती होती है और न ही ‘सिद्ध टेक’ से इसका कोई संबंध है, फिर भी यहां गणपति पूजा का खास महत्व है।

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