आस्था के लिए भी प्रसिद्द है माउंट आबू, जानें यहाँ के प्रसिद्द मंदिरों के बारे में
By: Ankur Mundra Thu, 14 Mar 2019 12:48:30
राजस्थान में पर्यटन के हिसाब से सबसे ज्यादा पसंद माउंट आबू को किया जाता है। जहाँ का निर्मल वातावरण और प्राकृतिक दृश्य विश्वभर के सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। लेकिन क्या आप जानते है कि माउंटआबू को आस्था की दृष्टि से भी विशेष माना जाता है और यहाँ पर स्थित मंदिर आपके मन को शान्ति पहुंचाते हैं। आज हम आपको माउंटआबू के इन्हीं मंदिरों की विशेषता बताने जा रहे हैं। तो आइये जानते है माउंटआबू के इन मंदिरों के बारे में।
* गुरुशिखर
गुरुशिखर अरावली पर्वत माला की उच्चतम बिंदु है जो की राजस्थान के अरबुडा पहाड़ो मे एक चोंटी पर स्थित है। यह 1722 (5676फीट) मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। गुरु शिखर अरावली पर्वत श्रंखला की सबसे ऊँची चोंटी है। इसके मंदिर का भवन सफेद रंग का है। यह मंदिर भगवान विष्णु दत्राते के अवतार को समर्पित है। गुरु शिखर के नीचे का जो द्रश्य है वह बहुत ही सुन्दर दिखलाई देता है।
* दिलवाडा मंदिर
दिलवाडा मंदिर या देलवाडा मंदिर इस दोनों ही नामो से जाना जाता है। इसका निर्माण ग्यारहवी और तेहरवी शताबदी मे माना जाता है। यह मंदिर जैन धर्म के र्तीथकरों को समर्पित है। दिलवाड़ा के मंदिरों में 'विमल वासाही मंदिर' प्रथम र्तीथकर को समर्पित है जो की सर्वाधिक प्राचीन है जिसका निर्माण 1031 ई. में हुआ था। बाईसवें र्तीथकर नेमिनाथ को 'लुन वासाही मंदिर' समर्पित है जो भी काफी लोकप्रिय मंदिर है। यह मंदिर 1231 ई. में वास्तुपाल और तेजपाल नाम के दो भाईयों द्वारा बनवाया गया था। दिलवाड़ा जैन मंदिर परिसर में पांच मंदिर संगमरमर के है। मंदिरों के लगभग 48 स्तम्भों में नृत्यांगनाओं की आकृतियां बनी हुई हैं। दिलवाड़ा के मंदिर और मूर्तियां मंदिर निर्माण कला का उत्तम उदाहरण हैं।
* गोमुख मंदिर
यह मंदिर गाय की मूर्ति के लिए प्रसिद्ध है जिसके सिर से सदेव ही प्राक्रतिक रूप से धारा बहती रहती है। इसी वजह से इस मंदिर को गोमुख मंदिर कहा जाता है। संत वशिष्ट ने इसी स्थान पर यज्ञ का आयोजन किया था। इस मंदिर मे आर्बुअर्दा की एक विशाल प्रतिमा भी है। संगमरमर से निर्मित नन्दी की मूर्ति को भी यहाँ देखा जा सकता है।