सन् 1973 में टाइगर रिज़र्व के रूप में स्थापित किया गया था - बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यान
By: Priyanka Maheshwari Mon, 30 Apr 2018 11:06:27
बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यान दक्षिण भारत के कर्नाटक राज्य में स्थित है। यह प्रोजेक्ट टाइगर के तहत सन् 1973 में एक टाइगर रिज़र्व के रूप में स्थापित किया गया था। एक समय यह मैसूर राज्य के महाराजा की निजी आरक्षित शिकारगाह थी। बांदीपुर अपने वन्य जीवन के लिए प्रसिद्ध है और यहाँ कई प्रकार के बायोम हैं, लेकिन इनमें शुष्क पर्णपाती वन प्रमुख है।
उद्यान 874 वर्ग किलोमीटर (337 वर्ग मील) के क्षेत्र में फैला हुआ है और भारत के लुप्तप्राय वन्य जीवन की कई प्रजातियों का संरक्षण स्थल है। आसपास के नागरहोल राष्ट्रीय उद्यान (643 वर्ग किलोमीटर (248 वर्ग मील)), मुदुमलाइ राष्ट्रीय उद्यान (320 वर्ग किलोमीटर (120 वर्ग मील)) और वायनाड वन्यजीव अभयारण्य (344 वर्ग किलोमीटर (133 वर्ग मील)) के साथ कुल मिलाकर 2183 वर्ग किलोमीटर (843 वर्ग मील) का यह नीलगिरी बायोस्फीयर रिज़र्व का हिस्सा है जिससे यह दक्षिण भारत का सबसे बड़ा संरक्षित क्षेत्र बन जाता है।
बांदीपुर चामराजनगर जिले के गुण्द्लुपेट तालुके में स्थित है। यह मैसूर शहर से 80किलोमीटर (50 मील) की दूरी पर एक प्रमुख पर्यटन स्थल ऊटी जाने के मार्ग पर स्थित है। इसकी वजह से बहुत से पर्यटन यातायात बांदीपुर से होकर गुज़रते हैं और वर्ष इन वाहनों से हुई टक्कर के कारण कई वन्य प्राणियों की मृत्यु हो जाती है। इन हादसों को कम करने की दृश्टि से सरकार ने गोधुलि वेला से भोर तक बांदीपुर से गुज़रने वाले यातायात पर प्रतिबन्ध लगा दिया है।
कर्नाटक के चामराजनगर ज़िले में स्थित 874.2 वर्ग किलोमीटर विस्तार का बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यान उत्तर पश्चिम में राजीव गांधी राष्ट्रीय उद्यान (नागरहोल) द्वारा, दक्षिण में तमिलनाडु के मुदुमलाई वन्यजीव अभयारण्य द्वारा और दक्षिण पश्चिम में केरल के वायनाड वन्यजीव अभयारण्य द्वारा घिरा हुआ है। यह सब साथ मिलकर नीलगिरी बायोस्फीयर रिज़र्व बनाते हैं।
यहाँ बाघ, तेंदुआ, हाथी (भारतीय हाथी), गौर, भालू, ढोल, सांबर, चीतल, काकड़, भारतीय चित्तीदार मूषक मृग तथा लोरिस पाये जाते हैं।