इस गर्मी आनंद उठाये कर्नाटक के खूबसूरत पर्यटक स्थल चिकमंगलूर का
By: Priyanka Maheshwari Thu, 24 May 2018 00:31:05
चाय और कॉफी के बाग़ों के लिए मशहूर चिकमंगलूर दक्षिण-पश्चिमी कर्नाटक का एक शहर और ज़िला है। यह बैंगलूर से 200 कि.मी. की दूरी पर स्थित है। बाबाबूदान की पहाड़ियों से घिरा चिकमंगलूर कर्नाटक के सबसे प्रमुख पर्यटक स्थलों में से एक है। चिकमंगलूर का अर्थ है- "छोटी बेटी का नगर"।
यह माना जाता है कि चिकमंगलूर को रुकगनगडे की बेटी को दहेज के तौर पर दिया गया था। इसलिए इस जगह का इतना अलग सा नाम पड़ा है। पर्यटन की दृष्टि से भी यह एक उपयुक्त तथा महत्त्वपूर्ण पर्यटन स्थल है। चिकमंगलूर में पहाड़, झरने, अभ्यारण्य और कई धार्मिक स्थल भी हैं। यहाँ वह हर चीज़ है, जो सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित करती है। यहाँ उगाई जाने वाली चाय और कॉफी की गुणवत्ता पूरे देश में सराही जाती है। पूरे साल ही यहाँ का मौसम सुहावना रहता है, फिर भी मानसून के बाद झरनों एवं हिल स्टेशन की सुंदरता और भी निखर जाती है। जान ले पर्यटन के लिहाज से चिकमंगलूर आपके लिए कितना खास है।
मुलायनगिरी
मुलायनगिरी कर्नाटक राज्य की सबसे ऊची पर्वतीय चोटी है जो चंद्र ध्रोन श्रृंखला में 1950 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह पहाड़ी गंतव्य अपने साहसिक अनुभवों के लिए जाना जाता है। दूर-दराज के ट्रैवलर्स यहां ट्रेकिंग जैसे एडवेंचर की खोज में आते हैं। पहाड़ी के घुमावदार और जंगल रास्ते रोमांचक ट्रेल्स के लिए काफी प्रसिद्ध हैं। ट्रेंकिग के अलावा आप यहां कैंपिंग, माउंटेन बाइकिंग और एक लंबी पैदल यात्रा का आनंद उठा सकते हैं। तपसवी मुलप्पा स्वामी मंदिर, सूर्यास्त प्वाइंट, और नंदी मूर्ति यहां के सबसे खास पर्यटन स्थल हैं जहां का प्लान आप मुलायनगिरी सैर के दौरान बना सकते हैं।
कुद्रेमुख
कुदरेमुख जिसे कई बार कुदुरेमुख भी कहा जाता है, कर्नाटक राज्य के चिकमंगलूर जिला में एक पर्वतमाला है। यहीं निकटस्थ ही के एक कस्बे का नाम भि यही है। यह कर्कला से ४८ कि॰मी॰ दूर स्थित है। कुदरेमुख शब्द का मूल यहां के स्थानीय निवासियों द्वारा अश्व के मुख को कहा जाने से पड़ा है। इस पर्वत की चोटी का आकार कुछ इसी प्रकार का है। इसे ऐतिहासिक नाम समसेपर्वत से भी जाना जाता है, क्योंकि इसका रास्ता समसे ग्राम से होकर निकलता था। यह कस्बा मुख्यतः लौह अयस्क के खनन के कारण प्रसिद्ध है प्रकृति प्रमियों के लिए यह स्थान काफी हद तक सही है . यहां आपको प्रकृति के करीब जाने का भरपूर मौका मिलेगा जहां आप एक यादगार समर बीता सकते हैं। कुद्रेमुख के प्राकृतिक सुंदरता का आनंद आप यहां कुद्रेमुख में ट्रेंकिग और कुद्रमुख राष्ट्रीय उद्यान की सैर कर उठा सकते हैं। भगवती प्रकृति शिविर, सुरीमाले फॉल्स, और कदंबी झरने यहां के खास दर्शनीय स्थान हैं।
जेड प्वाइंट
अगर आप अगर आप शारीरिक और मानसिक रूप से पूरी तरह तंदरुस्त हैं और ट्रैकिंग का भरपूर मज़ा लेना चाहते है तो यह जगह आपके लिए बेस्ट है. यहां की पहाड़ियां खड़ी चट्टानों और चुनौतीपूर्ण रास्तों से भरी हैं इसलिए पूरी तैयारी के साथ आगे बढ़ें। ट्रेकिंग के अलावा आप यहां माउंटेन बाइकिंग का भी रोमांचक आनंद ले सकते हैं।
कॉफी संग्रहालय चिकमंगलूर
चाय और कॉफी के बाग़ों के लिए भी चिकमंगलूर बहुत प्रसिद्ध है। यहाँ उगाई जाने वाली चाय और कॉफी की गुणवत्ता पूरे देश में सराही जाती है। दक्षिण भारत में कॉफी बागान के इतिहास को जानने के लिए आप इस कॉफी संग्रहालय का भ्रमण कर सकते हैं। यह संग्रहालय कॉफी बोर्ड ऑफ इंडिया द्वारा संचालित है। यहां आप कॉफी से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारियां प्राप्त कर सकते हैं। कॉफी संग्रहालय चिकमंगलूर से लगभग 10 किमी की दूरी पर दशरहल्ली में स्थित है जो सुबह से 10 बजे से लेकर शाम के 6 बजे तक खुला रहता है।
हेबे फॉल्स
उपरोक्त स्थानों के अलावा आप चिकमंगलूर के खूबसूरत हेबे फॉल्स की सैर का आनंद ले सकते हैं। केममानगुंडी पहाड़ियों के बीच 168 मीटर की ऊंचाई वाला यह जलप्रपात सैलानियों के मध्य काफी ज्यादा प्रसिद्ध है। हेबे फॉल्स चिकमंगलूर में घूमने लायक सबसे खास स्थानों में गिना जाता है। भले ही आप ऊपर से गिरते पानी से डरते हों पर यहां आने के बाद एक बार भीग जाने का मन तो जरूर करेगा। यहां का सफेद साफ पानी दूर से ही ट्रैवलर्स-सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित करने का काम करता है। इसके अलावा माना जाता है कि इस जलप्रपात के पानी में औषधीय गुण हैं जिसने कई जीवविज्ञानी और वैज्ञानिकों का ध्यान अपनी ओर खींचा है।