क्षेत्रीय आधार पर सिनेमा को बांटना बंद हो : करण जौहर
By: Priyanka Maheshwari Sun, 24 Sept 2017 7:59:36
करण ने शनिवार को इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस लीडरशिप में यह विचार व्यक्त किए। उनका कहना है कि क्षेत्रीय आधार पर सिनेमा को बांटे जाने से रोकने की जरूरत है और भारतीय सिनेमा का प्रचार करने और उसे मंच देना शुरू करने की जरूरत है।
उन्होंने भारतीय सिनेमा के क्षेत्रीय सीमाओं से बाहर निकलने की जरूरत को रेखांकित किया और कहा कि सभी भारतीय सिनेमा को एक ही छत के नीचे लाया जाए।
उन्होंने कहा, "बॉलीवुड एक ऐसा शब्द है, जिसके साथ हम रहना सीख गए हैं। यह निराशाजनक है कि आपको इसे दुनिया में इस्तेमाल करना है क्योंकि हमारी पहचान है। हम कोई छोटे उद्योग से ताल्लकु नहीं रखते हैं। हमारा खुद का बड़ा उद्योग है और हमने कई शानदार फिल्में बनाई हैं।"
उन्हों फिल्म 'बाहुबली' को भारत की पहली ऐसी फिल्म बताया जिसने सभी सीमाओं से परे जाकर सफलता का परचम फहराया था, जो पहल कभी नहीं देखा गया था।
फिल्मकार का मानना है कि किसी भी सुपरस्टार या महानायक से बढ़कर फिल्म की पटकथा और बजट होती है। उन्होंने कहा कि हॉलीवुड में स्टार सिस्टम यानी सिर्फ बड़े स्टार के नाम पर फिल्म चलने की व्यवस्था 10 साल पहले समाप्त हो चुकी है और बॉलीवुड भी इस दिशा में आगे बढ़ रहा है।
अपनी फिल्म 'माई नेम इज खान' के अनिवासी भारतीय बाजार से परे जाने पर करण ने कहा कि ऐसा इसलिए संभव हो पाया क्योंकि फिल्म एक वैश्विक धर्म की गलत व्याख्या पर आधारित थी, जिसके भावों व सार को प्रवासी भारतीय बाजारों से परे कई देशों में गहराई से समझा गया।
इस बात का जिक्र किया कि फिल्म व्यापार विश्वास और भरोसे पर आधारित होता है, उन्होंने याद करते हुए बताया कि अमिताभ बच्चन और शाहरुख खान को उन्होंने अपनी फिल्म में लेने के लिए एक पेज का कॉन्ट्रैक्ट (अनुबंध पत्र) था, जो आजकल के काफी पढ़े-लिखे एमबीए पेशेवरों से बिल्कुल उलट है जो कलाकारों को 80 पेज का कॉन्ट्रैक्ट भेजते हैं। करण का मानना है कि अगले 10 सालों में फिल्म उद्योग का सुनहरा दौर होगा, लेकिन यह टिप्पणी भी किया कि वर्तमान में यह एक अंधेरे सुरंग से होकर गुजर रहा है।