क्यों मनाई जाती है कजली तीज

By: Pinki Tue, 08 Aug 2017 5:48:18

क्यों मनाई जाती है कजली तीज

दुसरे तीज त्यौहार की तरह इस तीज का भी अलग महत्व है| तीज एक ऐसा त्यौहार है जो शादीशुदा लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है| हमारे देश में शादी का बंधन सबसे अटूट माना जाता है| पति पत्नी के रिश्ते को मजबूत बनाने के लिए तीज का व्रत रखा जाता है| दूसरी तीज की तरह यह भी हर सुहागन के लिए महत्वपूर्ण है| इस दिन भी पत्नी अपने पति की लम्बी उम्र के लिए व्रत रखती है, व कुआरी लड़की अच्छा वर पाने के लिए यह व्रत रखती है|

पुराणों के अनुसार मध्य भारत में कजली नाम का एक वन था| इस जगह का राजा दादुरै था| इस जगह में रहने वाले लोग अपने स्थान कजली के नाम पर गीत गाते थे जिससे उनकी इस जगह का नाम चारों और फैले और सब इसे जाने| कुछ समय बाद राजा की म्रत्यु हो गई और उनकी रानी नागमती सती हो गई| जिससे वहां के लोग बहुत दुखी हुए और इसके बाद से कजली गाने पति पत्नी के जन्म जन्म के साथ के लिए गए जाने लगे|

why we celebrate kajali teej

इसके अलावा एक और कथा इस तीज से जुडी है| माता पार्वती शिव से शादी करना चाहती थी लेकिन शिव ने उनके सामने शर्त रख दी व बोला की अपनी भक्ति और प्यार को सिद्ध कर के दिखाओ| तब पार्वती ने 108 साल तक कठिन तपस्या की और शिव को प्रसन्न किया| शिव ने पार्वती से खुश होकर इसी तीज को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकारा था| इसलिए इसे कजरी तीज कहते है| कहते है बड़ी तीज को सभी देवी देवता शिव पार्वती की पूजा करते है|

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एक साहूकार था उसके सात बेटे थे| सतुदी तीज के दिन उसकी बड़ी बहु नीम के पेड़ की पूजा कर रही होती है तभी उसका पति मर जाता है| कुछ समय बाद उसके दुसरे बेटे की शादी होती है, उसकी बहु भी सतुदी तीज के नीम के पेड़ की पूजा कर रही होती है तभी उसका पति मर जाता है| इस तरह उस साहूकार के 6 बेटे मर जाते है| फिर सातवें बेटे की शादी होती है और सतुदी तीज के दिन उसकी पत्नी अपनी सास से कहती है कि वह आज नीम के पेड़ की जगह उसकी टहनी तोड़ कर उसकी पूजा करेगी| तब वह पूजा कर ही रही होती है कि साहूकार के सभी 6 बेटे अचानक वापस आ जाते है लेकिन वे किसी को दिखते नहीं है| तब वह अपनी सभी जेठानियों को बुला कर कहती है कि नीम के पेड़ की पूजा करो और पिंडा को काटो| तब वे सब बोलती है कि वे पूजा कैसे कर सकती है जबकि उनके पति यहाँ नहीं है| तब छोटी बहुत बताती है कि उन सब के पति जिंदा है| तब वे प्रसन्न होती है और नीम की टहनी की पूजा अपने पति के साथ मिल कर करती है| इसके बाद से सब जगह बात फ़ैल गई की इस तीज पर नीम के पेड़ की नहीं बल्कि उसकी टहनी की पूजा करनी चाहिए|

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