वास्तु के हिसाब से इस जगह रखा मंदिर खोलता है किस्मत के द्वार
By: Ankur Tue, 03 Oct 2017 4:15:17
अपने इष्ट देव से संवाद साधने और उन तक अपनी बात पहुंचाने के उद्देश्य से पूजा स्थल बहुत उपयोगी माना गया है। घर छोटा हो या बड़ा, हिन्दू धर्म के अनुसार सभी में मंदिर की स्थापना अवश्य करनी चाहिए। लेकिन मंदिर से जुड़े जरूरी निमय बहुत ही कम लोग जानते होंगे। वैसे तो परमपिता परमेश्वर सर्वव्यापी है इसके बावजूद अगर घर के मंदिर की स्थापना करते समय कुछ छोटी छोटी, लेकिन महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखा जाए तो पूजा का फल अधिक मिलता है। आज हम अपको बताने जा रहे हैं, मंदिर से जुड़ी कुछ ऐसी ही जरूरी बातों के बारे में...
# घर में पूजा स्थल की स्थापना हमेशा उत्तर, पूर्वी या उत्तर-पूर्वी दिशा में ही करनी चाहिए। पूजा करते समय भी हमारा मुख पूर्वी या उत्तरी दिशा में ही होना चाहिए। चूंकि ईश्वरीय शक्ति ईशान कोण (उत्तर-पूर्वी) से प्रवेश कर नैऋत्य कोण (पश्चिम-दक्षिण) से बाहर निकलती है, इसलिए उत्तर-पूर्वी दिशा में मंदिर होना शुभ कहा जाता है।
# घर का मंदिर ऐसी जगह पर बनाया जाना चाहिए जहां पर सूर्य की रौशनी और ताजी हवा आती हो। इससे घर की नेगेटिव एनर्जी खत्म होकर पॉजिटिव एनर्जी का संचार होता है। साथ ही घर के वास्तु दोष भी दूर होते हैं।
# वास्तु के अनुसार दक्षिण दिशा की तरफ मुख कर के पूजा करना या दक्षिण दिशा में मंदिर की स्थापना करना पूर्णत: वर्जित है।
# बहुत से घरों में रसोई घर में पूजा का स्थान बना लेते हैं जो एक दम गलत है। घर के सभी लोग अतृप्त और दुखी रहेंगे क्योंकि भगवान भाव व सुगंध के भूखे हैं। रसोई घर में कई तरह का खाना बनता है- सात्विक भी और तामसिक भी।
# पूजा घर में गणेश जी, लक्ष्मी जी और सरस्वती जी की मूर्तियां कभी भी खड़ी नहीं होनी चाहिए। इसे अशुभ माना जाता है।
# मृतात्मा या पूर्वजों की तस्वीर पूजा घर में देवताओं के साथ नहीं लगाने चाहिए। पूर्वज हमारे श्रद्धेय हैं, पूजनीय हैं। लेकिन हम उन्हें भगवान मानकर उनकी पूजा नहीं कर सकते।
# घर के जिस स्थान पर आपने पूजाघर की स्थापना की है उसके ऊपर या नीचे की मंजिल पर कभी शौचालय या रसोईघर की स्थापना नहीं करनी चाहिए। इसके अलावा सीढ़ियों के नीचे कभी भी पूजा का कमरा नहीं बनवाना चाहिए।
# मंदिर में रखी मूर्तियां छोटी और कम वजनी ही बेहतर होती है। साथ ही पूजा स्थल पर बीच में भगवान गणेश की तस्वीर या मूर्ति जरूर होनी चाहिए। इसके अलावा देवताओं की तस्वीर इस तरह रखें कि दृष्टि एक दूसरे पर नहीं पड़े। अगर कोई मूर्ति खंडित या क्षतिग्रस्त हो जाए तो उसे मंदिर से हटाकर पीपल के पेड़ या जल में प्रवाहित कर देना चाहिए।
# जिस कमरे में आपने मंदिर की स्थापना की है, उस कमरे का रंग अगर हरा, हलका पीला, सफेद हलका नीला है तो यह बहुत शुभ कहा जाएगा।