खाना खाने से जुड़े वास्तु : घर में दरिद्रता लाता है इस चीज पर बैठकर खाना या पीना
By: Ankur Mon, 23 Oct 2017 4:22:26
शास्त्रों में भोजन को लेकर कई तरीके बताए गए हैं जिनसे स्वास्थ्य पर सकारात्मक और नकारात्मक असर भी पड़ता है। खाना खाते समय यदि कुछ बातों का ध्यान रखा जाए तो स्वास्थ्य लाभ के साथ ही ईश्वरीय कृपा भी प्राप्त की जा सकती है। आजकल की भाग दौड़ भरी जिंदगी में लोग खान-पान पर ध्यान नहीं दे पाते। वहीं कुछ आदते ऐसी है जो अब हमारी लाइफ का एक हिस्सा बनती जा रही हैं जैसे सुबह देर से उठना रात को देर से सोना। बेड पर चाय और खाना लेना आदि। ये आदते ऐसी हैं जो हमारे शरीर को प्रभावित करती हैं। आइये आज हम बताते हैं आपको खाना खाने से जुड़े कुछ वास्तु टिप्स के बारे में।
* खाना खाने से पहले दोनों हाथ, दोनों पैर और मुंह को धोने के पश्चात ही भोजन करना चाहिए। मान्यता के अनुसार गीले पैरों के साथ भोजन करने से स्वास्थ्य संबंधी लाभ होता है और उम्र में बढ़ौतरी होती है।
* शास्त्रों में कहा गया है कि बिस्तर पर बैठकर खाना या पीना नहीं चाहिए। कहा जाता है कि से घर में लक्ष्मी का निवास नहीं होता। यहां तक यह भी कहा गया है कि इससे घर में दरिद्रता आती है। यह भी कहा जाता है कि इससे घर में अशांति फैल जाती है।
* बिस्तर रुई से बने होते हैं, रुई हमारे शरीर की ऊर्जा को निकलने नहीं देती है। खाना खाते समय हमारी लीवर की गर्मी निकलती है, बिस्तर पर बैठने से ये गर्मी शरीर में ही रुक जाती है, जमीन तक नहीं पहुंच पाती है। इससे हमारा पाचन तंत्र खराब होता है। जमीन पर बैठकर खाना खाने से से हमारे शरीर का तापमान सही रहता है।
* वास्तु की मान्यता है कि पूर्व की ओर मुख करके भोजन करने से आयु बढ़ती है। जो लोग उत्तर दिशा की ओर मुख करके भोजन करते हैं, उन्हें लंबी आयु के साथ ही लक्ष्मी कृपा भी प्राप्त होती है। दक्षिण दिशा, यम की दिशा मानी जाती है और इस ओर मुख करके खाना खाने से भय बढ़ता है। बुरे सपने दिखाई देते हैं।
* भोजन करने से पूर्व अन्न देवता, अन्नपूर्णा माता अौर देवी-देवताओं का स्मरण कर उन्हें धन्यवाद करें। भोजन स्वादिष्ट न लगने पर उसका तिरस्कार न करें। ऐसा करने से अन्न का अपमान होता है।
* भोजन बनाने वाले व्यक्ति को स्नान करके और पूरी तरह से पवित्र होकर ही भोजन बनाना चाहिए। भोजन बनाते समय मन शांत रखना चाहिए। जहां तक हो सके भोजन बनाते समय अपने परिवार के स्वस्थ रहने के विचार करें या मंत्र जप अथवा स्तोत्र पाठ करते रहें।