नवरात्रि विशेष: माँ दुर्गा का प्रथम रूप है श्री शैलपुत्री
By: Kratika Wed, 20 Sept 2017 1:34:34
श्री दुर्गा का प्रथम रूप श्री शैलपुत्री हैं। पर्वतराज हिमालय की पुत्री होने के कारण ये शैलपुत्री कहलाती हैं। नवरात्र के प्रथम दिन इनकी पूजा और आराधना की जाती है। गिरिराज हिमालय की पुत्री होने के कारण भगवती का प्रथम स्वरूप शैलपुत्री का है, जिनकी आराधना से प्राणी सभी मनोवांछित फल प्राप्त कर लेता है।
शैलपुत्री का दिव्य रुप
माँ शैलपुत्री दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएँ हाथ में कमल का पुष्प लिए अपने वाहन वृषभ पर विराजमान होतीं हैं। नवरात्र के इस प्रथम दिन की उपासना में साधक अपने मन को ‘मूलाधार’ चक्र में स्थित करते हैं, शैलपुत्री का पूजन करने से ‘मूलाधार चक्र’ जागृत होता है और यहीं से योग साधना आरंभ होती है जिससे अनेक प्रकार की शक्तियां प्राप्त होती हैं।
देवी शैलपुत्री की आराधना के प्रभावशाली मंत्र
नव दुर्गा के प्रथम रुप शैलपुत्री की शक्तियां अपरम्पार हैं। मान्यता है कि नवरात्र-पूजन के प्रथम दिन इनकी उपासना उपयुक्त मंत्रों से करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है और देवी मां की कृपा प्राप्त होती है, तो आइए जानते हैं उनकी आराधना के कुछ प्रभावशाली स्तुति और मंत्रों के बारे में:
वंदे वांछितलाभाय चंद्रार्धकृतशेखराम् ।
वृषारूढ़ां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम् ॥
पूणेन्दु निभां गौरी मूलाधार स्थितां प्रथम दुर्गा त्रिनेत्राम् ॥
पटाम्बर परिधानां रत्नाकिरीटा नामालंकार भूषिता ॥
प्रफुल्ल वंदना पल्लवाधरां कातंकपोलां तुंग कुचाम् ।
कमनीयां लावण्यां स्नेमुखी क्षीणमध्यां नितम्बनीम्