सभी वास्तुदोष के निवारण के लिए करे केवल एक उपाय
By: Sandeep Gupta Wed, 14 June 2017 11:44:33
गाय इस धरती पर साक्षात देवता है। गौ माता में तैंतीस कोटी देवी देवताओं का वास है। गौ माता अन्नपूर्णा देवी है कामधेनु है। मनोकामना पूर्ण करने वाली है। गौ माता के गोबर में लक्ष्मी जी का वास होता है। गौ माता के मुत्र में गंगाजी का वास होता है। गौ माता के एक आंख में सुर्य व दूसरी आंख में चन्द्र देव का वास होता है। गौ माता की पूंछ में हनुमानजी का वास होता है। किसी व्यक्ति को बुरी नजर हो जाये तो गौ माता की पूंछ से झाड़ा लगाने से नजर उतर जाती है। गौ माता साक्षात् मां भवानी का रूप है।
1. गौ माता जिस जगह खड़ी रहकर आनंदपूर्वक चैन की सांस लेती है। वहां वास्तु दोष समाप्त हो जाते हैं। जिस जगह गौ माता खुशी से रभांने लगे उस देवी देवता पुष्प वर्षा करते हैं। गाय के गले में बंधी घंटी बजने से गौ आरती होती है। गौ माता के खुर्र में नागदेवता का वास होता है। जहां गौ माता विचरण करती है उस जगह सांप बिच्छू नहीं आते।
2. जो व्यक्ति गौ माता की सेवा पूजा करता है उस पर आने वाली सभी प्रकार की विपदाओं को गौ माता हर लेती है।
3. गौ माता के गोबर से बने उपलों का रोजाना घर दूकान मंदिर परिसरों पर धुप करने से वातावरण शुद्ध होता है सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। गौ माता के गोबर से ईंधन तैयार होता है।
4 गौ माता का दूध अमृत है। गौ माता के दुध मे सुवर्ण तत्व पाया जाता है जो रोगों की क्षमता को कम करता है। गौ माता के दूध घी मख्खन दही गोबर गोमुत्र से बने पंचगव्य हजारों रोगों की दवा है। इसके सेवन से असाध्य रोग मिट जाते हैं।
5. गौ माता की पीठ पर एक उभरा हुआ कुबड़ होता है। उस कुबड़ में सूर्य केतु नाड़ी होती है। रोजाना सुबह आधा घंटा गौ माता की कुबड़ में हाथ फेरने से रोगों का नाश होता है।
6. गौ माता पृथ्वी का रूप है। गौ माता जगत जननी है। गौ माता धर्म की धुरी है। गौ माता के बिना धर्म कि कल्पना नहीं की जा सकती।
7. गौ माता सर्वो देवमयी सर्वोवेदमयी है। गौ माता के बिना देवों वेदों की पूजा अधुरी है। एक गौ माता को चारा खिलाने से तैंतीस कोटी देवी देवताओं को भोग लग जाता है। गौ माता से ही मनुष्यों के गौत्र की स्थापना हुई है।
8. गौ माता चौदह रत्नों में एक रत्न है। गौ माता के पंचगव्य के बिना पूजा पाठ हवन सफल नहीं होते हैं।
9. गौ माता को घर पर रखकर सेवा करने वाला सुखी आध्यात्मिक जीवन जीता है। उनकी अकाल मृत्यु नहीं होती।
10. तन मन धन से जो मनुष्य गौ सेवा करता है। वो वैतरणी गौ माता की पुछ पकड कर पार करता है। उन्हें गौ लोकधाम में वास मिलता है।
11. गौ माता सभी देवी देवताओं मनुष्यों की आराध्य है; इष्ट देव है। साकेत स्वर्ग इन्द्र लोक से भी उच्चा गौ लोक धाम है। गौ माता के बिना संसार की रचना अधुरी है। गौ माता में दिव्य शक्तियां होने से संसार का संतुलन बना रहता है।