फेसबुक तथा एप्पल के संस्थापकों मार्क जुकरबर्ग, स्टीव जॉब्स को राह दिखाने वाले नीम करौली बाबा की कुछ रोचक बातें

By: Sandeep Wed, 27 Sept 2017 11:23:29

फेसबुक तथा एप्पल के संस्थापकों मार्क जुकरबर्ग, स्टीव जॉब्स को राह दिखाने वाले नीम करौली बाबा की कुछ रोचक बातें

हनुमान भक्त नीम करौली बाबा का जीवन परिचय लोगो के मन में जोश एवं उमंग भर देता हैं. Neem Karoli Baba को तो कुछ लोग हनुमान जी का साक्षात् अवतार कहते थे.

भारत श्रषि-मुनियों की धरती रही है। पुरातन काल से लेकर अभी तक भारत ने बहुत से महात्माओं को देखा है, महात्माओं ने ही आध्यात्म जगत को पुन: भारत में स्थापित किया था। संतो की पावन भूमि को हमेशा संतो ने ही संभाला है। संत और महात्मा लोग हमारे जीवन को प्रकाशवान करते ही हैं , अपितु अपनी सुख-सुविधा त्यागकर देश का भी कल्याण करते हैं। एक ऐसे ही परम संत थे जो हनुमान जी के परम भक्त थे, बहुत से लोग तो उन्हें साक्षात हनुमान जी ही कहते थे। उन्होनें बहुत लोगों की निराश जिंदगी को सुधारा था।

नीम करौली बाबा ने 1958 में अपने घर को त्याग दिया था , यह वह समय था जब उनके पास एक 11 साल की कन्या थी और एक छोटा सा बच्चा भी था। गृह-त्याग के बाद बाबा पुरू उत्तर भारत में साधू की भाँति विचरण करने लगे थे। इस समय के दौरान उन्हें लक्ष्मण दास, हांडी वाला बाबा , और तिकोनिया वाला बाबा सहित कई नामों से जाना जाता था। जब उन्होंने गुजरात के ववानिया मोरबी में तप्सया प्रारंभ की तब वहाँ उन्हें लोग तलईया बाबा के नाम से जानते थे।

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# वृंदावन में स्थानीय निवासियों ने बाबा को चम्तकारी बाबा के नाम से संबोधित किया। उनके जीवन काल में दो बड़े आश्रमों का निर्माण हुआ था, पहला वृदांवन में और दूसरा कैंची में, जहाँ बाबा गर्मियों के महीनों को बिताते थे । उनके समय में 100 से ज्यादा मंदिरों का निर्माण उनके नाम से हुआ था।

# नीम करौली बाबा हनुमानजी के बहुत बड़े भक्त थे। उन्हें अपने जीवन में लगभग 108 हनुमान मंदिर बनवाए थे। वर्तमान में उनके हिंदुस्तान समेत अमरीका के टैक्सास में भी मंदिर हैं।

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# बाबा ने अपने शरीर को 11 सिंतबर , 1973 को छोड़ दिया था और अपने भगवान हनुमान जी के सानिध्य में चले गये। बाबा हम सभी के लिए प्रेरणा के स्रोत थे, माना जाये तो कलियुग में हनुमान जी ही नीम करौली बाबा के नाम से जाने गये थे।

# समये का साथ-साथ इन वर्षों में नैनीताल – अल्मोड़ा सड़क पर नैनीताल से 17 किमी स्थित मंदिर अब लोगों के महत्वपुर्ण तीर्थ बन गया है। 15 जून को जब कैंची धाम का मेला होता है तब मंदिर में लाखों श्रद्धालु आतें हैं और प्रसाद पातें हैं।

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