ग्रीस से सीधे बेंगलूरू लैंड करेंगे मोदी, इसरो की वैज्ञानिक टीम और तकनीकी कर्मचारियों करेंगे मुलाकात

By: Shilpa Fri, 25 Aug 2023 6:44:09

ग्रीस से सीधे बेंगलूरू लैंड करेंगे मोदी, इसरो की वैज्ञानिक टीम और तकनीकी कर्मचारियों करेंगे मुलाकात

नई दिल्ली। ग्रीस का दौरा पूरा होने के बाद 26 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सीधे बेंगलुरु में लैंड करेंगे। वह सुबह करीब 4 बजे ग्रीस दौरे से लौटने के बाद सुबह 7 बजे इसरो मुख्यालय जाएंगे। इसरो हेडक्वार्टर में पीएम चंद्रयान-3 को चांद पर भेजने वाली वैज्ञानिकों और तकनीशियनों की टीम से मुलाकात करेंगे। इस बीच कर्नाटक बीजेपी एक छोटे रोड शो की भी तैयारी कर रही है। एक भाजपा नेता की मानें तो 6000 से अधिक कार्यकर्ता एचएएल एयरपोर्ट पहुंचकर उनका स्वागत करेंगे।

दिल्ली एयरपोर्ट पर भव्य स्वागत की तैयारी

बंगलुरु से लौटने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दिल्ली एयरपोर्ट पर भव्य स्वागत की तैयारी है। दिल्ली के टेक्नीकल एयरपोर्ट पर वह सुबह 11 बजे पहुंचेंगे। यहां ढोल नगाड़ों के साथ उनके भव्य स्वागत की तैयारी जारी है। दिल्ली बीजेपी के 10,000 से ज्यादा कार्यकर्ता पीएम मोदी को रिसीव करने पालम एयरपोर्ट पहुंचेंगे। अंतरिक्ष में 40 दिनों की यात्रा के बाद, चंद्रयान-3 के लैंडर ‘विक्रम’ ने 23 अगस्त 2023 की शाम 6 बजकर 4 मिनट पर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव को छू लिया, जिससे भारत ऐसा करने वाला पहला देश बन गया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चंद्रयान-3 की लैंडिंग के लाइव प्रसारण में दक्षिण अफ्रीका से ऑनलाइन शामिल हुए थे। वह ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए जोहान्सबर्ग में मौजूद थे। पीएम मोदी ने चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करके इतिहास रचने वाले चंद्रयान-3 मिशन की सराहना की और कहा कि ‘भारत अब चंद्रमा पर है। जब हम ऐसे ऐतिहासिक क्षण देखते हैं तो हमें बहुत गर्व होता है। यह नए भारत की सुबह है। हमने धरती पर संकल्प किया और चांद पे उसे साकार किया…इंडिया इज नाउ ऑन द मून।’ अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत मून लैंडिंग मिशन को सफलतापूर्वक संचालित करने वाला चौथा देश बन गया। चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान ने लैंडिंग से पहले विक्रम लैंडर को चंद्रमा की सतह पर क्षैतिज स्थिति में झुका दिया। अंतरिक्ष यान के प्रक्षेपण के लिए एक जीएसएलवी मार्क 3 (एलवीएम 3) हेवी-लिफ्ट लॉन्च वाहन का उपयोग किया गया था, जिसे 5 अगस्त को चंद्र कक्षा में स्थापित किया गया था और तब से, यह चंद्रमा की सतह पर पहुंचने से पहले कक्षीय प्रक्रियाओं की एक श्रृंखला से गुजरा।

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