
ईरान और इजरायल के बीच जारी युद्ध की पृष्ठभूमि में फारस की खाड़ी से एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है। रविवार को ईरान की संसद ने होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। यह वही सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण जलमार्ग है जिससे होकर दुनिया का लगभग एक-चौथाई तेल व्यापार होता है। यदि यह मार्ग वास्तव में बंद होता है तो वैश्विक ऊर्जा बाजार में भारी उथल-पुथल की संभावना है।
होर्मुज जलडमरूमध्य: दुनिया की ऊर्जा लाइफलाइनहोर्मुज जलडमरूमध्य फारस की खाड़ी को अरब सागर और हिंद महासागर से जोड़ता है और यह वैश्विक तेल आपूर्ति का सबसे अहम मार्ग माना जाता है। इसकी चौड़ाई लगभग 33 किलोमीटर है, लेकिन शिपिंग लेन सिर्फ 3 किलोमीटर चौड़ी है। ईरान की भौगोलिक स्थिति इसे इस जलमार्ग पर नियंत्रण देती है, जिससे वह रणनीतिक लाभ उठा सकता है।
इस मार्ग से सऊदी अरब, इराक, कुवैत, यूएई और कतर जैसे प्रमुख तेल उत्पादक देशों की ज्यादातर तेल आपूर्ति होती है। यदि ईरान इस रास्ते को बंद करता है, तो इसका सीधा असर अमेरिका, भारत, चीन और यूरोप जैसे प्रमुख तेल उपभोक्ता देशों पर पड़ेगा।
ईरान की संसद का प्रस्ताव और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियारविवार को ईरान की संसद में होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करने के प्रस्ताव पर मतदान हुआ, जिसमें बहुमत से इस निर्णय को पारित कर दिया गया। यह प्रस्ताव इजरायल और अमेरिका की ओर से ईरान के खिलाफ किए जा रहे हमलों की प्रतिक्रिया में लाया गया है। इससे स्पष्ट है कि तेहरान अब सीधे तौर पर रणनीतिक दबाव बनाने की नीति अपनाने जा रहा है।
अमेरिका ने ईरान के इस कदम को वैश्विक सुरक्षा के लिए खतरनाक बताया है। व्हाइट हाउस और पेंटागन की ओर से बयान आ सकते हैं। वहीं भारत जैसे देशों के लिए यह स्थिति कच्चे तेल की आपूर्ति और कीमतों के लिहाज से एक बड़ा झटका साबित हो सकती है।
तेल बाजार पर असर और संभावित संकटहोर्मुज जलडमरूमध्य के बंद होने का सीधा असर अंतरराष्ट्रीय तेल कीमतों पर पड़ेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि एक सप्ताह के भीतर ही कच्चे तेल की कीमतों में 15 से 20 प्रतिशत तक उछाल आ सकता है। ऐसे में विकासशील देशों की अर्थव्यवस्थाएं, जो पहले से ही वैश्विक मंदी की आशंका से जूझ रही हैं, और अधिक दबाव में आ सकती हैं।
भारत, जो अपनी तेल जरूरतों का लगभग 80% आयात करता है, उसे वैकल्पिक मार्गों और स्रोतों की तलाश करनी पड़ सकती है। वहीं अमेरिका और यूरोपीय संघ की ऊर्जा रणनीति पर भी इसका व्यापक असर पड़ेगा।
अमेरिका-ईरान टकराव की नई परतईरान का यह निर्णय न सिर्फ इजरायल के साथ उसके संघर्ष को और गहराएगा, बल्कि अमेरिका के साथ भी तनाव को चरम पर पहुंचा सकता है। इससे पहले अमेरिका ने चेतावनी दी थी कि यदि ईरान वैश्विक समुद्री मार्गों को बाधित करता है, तो उसे गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।
होर्मुज की स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आपात बैठक भी बुलाई जा सकती है। यह मुद्दा अब सिर्फ मध्य पूर्व तक सीमित नहीं रहा, बल्कि वैश्विक सुरक्षा और ऊर्जा संतुलन से भी जुड़ चुका है।
ईरान द्वारा होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करने का यह निर्णय दुनिया के लिए एक अलार्म बेल की तरह है। यह न केवल तेल आपूर्ति पर असर डालेगा, बल्कि वैश्विक भू-राजनीतिक संतुलन को भी चुनौती देगा। आने वाले दिनों में यह देखना अहम होगा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय, विशेषकर अमेरिका और भारत, इस संकट का सामना कैसे करते हैं।