सिर्फ एक इंसान की कॉल से रुक सकती है जंग..., ईरानी मंत्री का दावा

ईरान-इजरायल युद्ध के बीच अब कूटनीतिक बयानबाजी और प्रतिक्रियाएं और तेज हो गई हैं। ऐसे संवेदनशील समय में, जब पूरा पश्चिम एशिया हिंसा और संघर्षों का केंद्र बनता जा रहा है, ईरान ने अमेरिका को सीधे तौर पर इस पूरे घटनाक्रम के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए इजरायल पर नियंत्रण करने की बात कही है। ईरानी नेतृत्व का यह भी स्पष्ट कहना है कि अगर अमेरिका वास्तव में इस जंग को रोकना चाहता है, तो उसे अब प्रतीकात्मकता से आगे बढ़कर निर्णायक और प्रभावी कदम उठाने होंगे।

एक कॉल से थम सकता है नेतन्याहू का आक्रोश – अराघची

ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने सोमवार को एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक तीखी पोस्ट साझा करते हुए लिखा- “वॉशिंगटन से की गई एक मात्र फोन कॉल भी इजरायल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू को शांत करने के लिए पर्याप्त हो सकती है।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि इस तरह की कॉल न सिर्फ हमलों को रोक सकती है, बल्कि शांति की दिशा में बातचीत और कूटनीति का रास्ता भी खोल सकती है। यह वक्तव्य वैश्विक शक्तियों की भूमिका पर सवाल खड़ा करता है।

इजरायल की आक्रामकता नहीं थमी तो ईरान के हमले जारी रहेंगे

अराघची ने यह भी दोहराया कि अगर अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप वास्तव में शांति और कूटनीति के पक्षधर हैं, तो उन्हें अपने कदम अब बहुत सोच-समझकर और निर्णायक ढंग से उठाने होंगे। उन्होंने दो टूक कहा कि अगर इजरायल ने अपनी सैन्य आक्रामकता बंद नहीं की, तो ईरान भी जवाबी कार्रवाई जारी रखने को मजबूर रहेगा।

खाड़ी देशों से अपील: क्षेत्रीय सहयोग की दरकार

युद्धविराम के प्रयासों को और गति देने के लिए ईरान ने अब खाड़ी देशों – कतर, सऊदी अरब और ओमान – से कूटनीतिक सहयोग की अपील की है। ईरान चाहता है कि ये देश अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर दबाव डालें ताकि इजरायल को फौरन संघर्षविराम के लिए बाध्य किया जा सके। रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, दो ईरानी और तीन खाड़ी क्षेत्रीय सूत्रों ने संकेत दिया कि यदि संघर्ष को रोकने की दिशा में ठोस पहल होती है, तो ईरान परमाणु वार्ता में कुछ नरमी दिखाने को तैयार है। यह एक अहम राजनयिक बदलाव का संकेत हो सकता है।

ट्रंप का सख्त संदेश: ईरान को दी दो टूक चेतावनी

इस बीच, डोनाल्ड ट्रंप ने भी ईरान को लेकर अपने रुख में कोई नरमी नहीं दिखाई। उन्होंने ट्रुथ सोशल पर लिखा, ईरान को उसी वक्त समझौते पर हस्ताक्षर कर देने चाहिए थे जब मैंने पहली बार कहा था। यह पूरी स्थिति बेहद शर्मनाक और मानव जीवन की अकारण बर्बादी है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा, ईरान को किसी भी सूरत में परमाणु हथियार नहीं मिलना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने सभी देशों को चेताया कि “हर किसी को तुरंत तेहरान छोड़ देना चाहिए।”