
ईरान और इजरायल के बीच जारी जंग अब और भी खतरनाक मोड़ ले सकती है। संभावनाएं जताई जा रही हैं कि इस जंग में अब अमेरिका की भी सीधी एंट्री हो सकती है, जिससे हालात और बिगड़ सकते हैं। हालांकि, इसे लेकर अमेरिका ने आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा है। एक दिन पहले ही खबरें आई थीं कि व्हाइट हाउस सिचुएशन रूम में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के साथ हुई अहम बैठक में अमेरिकी अधिकारियों ने कहा था कि अगले 24 से 48 घंटे रणनीतिक और निर्णायक साबित होंगे।
ब्लूमबर्ग से बातचीत में मामले के जानकार लोगों ने बताया है कि वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारी आने वाले दिनों में ईरान पर सैन्य कार्रवाई की योजना बना रहे हैं। उन्होंने कहा है कि हालात अब भी विकसित हो रहे हैं और कभी भी बदल सकते हैं। रिपोर्ट के अनुसार, कुछ जानकार सूत्र सप्ताहांत में हमले की संभावनाओं की ओर इशारा कर रहे हैं। एक शख्स ने बताया है कि कई एजेंसियों के शीर्ष अधिकारियों ने संभावित हमले के लिए गंभीर तैयारी शुरू कर दी है, जो इस संकट को नया रूप दे सकती है।
बुधवार को ही ट्रंप ने पत्रकारों से बातचीत में कहा था कि उन्हें पता है कि उन्हें क्या करना है और वह 'समय से एक सेकंड पहले फैसला लेना' पसंद करते हैं, जो उनके निर्णय लेने की रणनीति को दर्शाता है। इससे कुछ घंटों पहले जब ईरान पर हमले को लेकर सवाल किया गया था, तो उन्होंने कहा था, 'मैं ऐसा कर भी सकता हूं। हो सकता है ऐसा ना भी करूं।' इधर, व्हाइट हाउस के एक अधिकारी ने कहा है कि सभी सैन्य और कूटनीतिक विकल्पों पर गहन विचार चल रहा है। ट्रंप ने यह भी जोड़ा कि ईरान के लिए अपने परमाणु कार्यक्रम को रोकने में अब भी 'बहुत देर' नहीं हुई है।
ट्रंप ने स्पष्ट किया, 'अब भी बहुत देर नहीं हुई है। ईरान की परेशानी लगातार बढ़ रही है। अगले सप्ताह कुछ बहुत बड़ा होने वाला है।' ट्रंप ने ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई द्वारा ईरान को बिना शर्त आत्मसमर्पण करने के लिए उनके (ट्रंप) आह्वान पर ध्यान न देने पर भी तेज और कटु प्रतिक्रिया दी। ट्रंप ने कहा, 'मैं उन्हें (ईरान को) शुभकामनाएं देता हूं।'
इससे पहले दिन में, खामेनेई ने चेतावनी दी थी कि इस्लामिक गणराज्य को निशाना बनाकर किए गए किसी भी अमेरिकी हमले से 'उसे अपूरणीय क्षति होगी' और उनका देश ट्रंप के आत्मसमर्पण के आह्वान के आगे कभी नहीं झुकेगा।
खास बात यह है कि ट्रंप कुछ समय पहले ही ईरान के साथ परमाणु समझौते के लिए सार्वजनिक तौर पर कूटनीतिक समाधान तलाशने की बात कर रहे थे, लेकिन अब उनके बयानों से साफ है कि टकराव की दिशा में कदम बढ़ रहे हैं।