बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री और बीएनपी प्रमुख खालिदा जिया का 80 वर्ष की उम्र में निधन

बांग्लादेश की राजनीति की एक सशक्त और प्रभावशाली शख्सियत, पूर्व प्रधानमंत्री बेगम खालिदा जिया का लंबी बीमारी के बाद मंगलवार को निधन हो गया। उन्होंने ढाका स्थित अपोलो अस्पताल में इलाज के दौरान अंतिम सांस ली। 80 वर्षीय खालिदा जिया बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) की अध्यक्ष थीं और उनके निधन की पुष्टि पार्टी की ओर से जारी आधिकारिक बयान में की गई।

बीएनपी के अनुसार, खालिदा जिया ने मंगलवार सुबह करीब 6 बजे, फज्र की नमाज के तुरंत बाद इस दुनिया को अलविदा कहा। पार्टी के बयान में कहा गया, “बीएनपी चेयरपर्सन और देश की पूर्व प्रधानमंत्री बेगम खालिदा जिया का आज सुबह 6:00 बजे इंतकाल हो गया। यह पार्टी और देश के लिए अपूरणीय क्षति है।” बयान में आगे उनकी आत्मा की शांति के लिए दुआ करने और समर्थकों से प्रार्थना करने की अपील की गई।

स्वास्थ्य बिगड़ने के बाद उन्हें 23 नवंबर 2025 को दिल और फेफड़ों में संक्रमण की शिकायत के चलते अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इसके बाद से लगातार 36 दिनों तक उनका इलाज चला, लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद उनकी हालत में अपेक्षित सुधार नहीं हो सका। डॉक्टरों की टीम लगातार उनकी स्थिति पर नजर बनाए हुए थी, क्योंकि उनकी तबीयत बेहद नाजुक बनी हुई थी।

लंबे समय से कई गंभीर बीमारियों से जूझ रहीं खालिदा जिया का स्वास्थ्य पहले से ही कमजोर था। वह लिवर सिरोसिस, गठिया और मधुमेह जैसी बीमारियों से पीड़ित थीं। इसके अलावा किडनी, फेफड़े, हृदय और आंखों से जुड़ी पुरानी समस्याओं ने भी उनकी स्थिति को और जटिल बना दिया था। बांग्लादेश की पहली महिला प्रधानमंत्री के रूप में इतिहास रचने वाली खालिदा जिया का स्वास्थ्य पिछले कुछ वर्षों में लगातार गिरता गया था।

उनका इलाज कार्डियोलॉजिस्ट शाहबुद्दीन तालुकदार के नेतृत्व में गठित एक विशेष मेडिकल बोर्ड की निगरानी में किया जा रहा था। इस बोर्ड में बांग्लादेश के साथ-साथ ब्रिटेन, अमेरिका, चीन और ऑस्ट्रेलिया के विशेषज्ञ डॉक्टर शामिल थे। इस महीने की शुरुआत में उन्हें बेहतर इलाज के लिए विदेश भेजने की कोशिश भी की गई थी, लेकिन अत्यधिक नाजुक हालत के चलते यह योजना अमल में नहीं लाई जा सकी।

खालिदा जिया के निधन से न सिर्फ बीएनपी बल्कि बांग्लादेश की राजनीति में भी एक युग का अंत माना जा रहा है। उनके समर्थक, पार्टी कार्यकर्ता और देश-विदेश के राजनीतिक नेता उनके योगदान को याद करते हुए शोक व्यक्त कर रहे हैं।