अमेरिका (America) के विस्कॉन्सिन की रहने वाली सिएरा स्ट्रैंगफील्ड ने 63 दिनों तक ब्रेस्ट मिल्क (Breast Milk) पंपकर डोनेट किया। उनका ऐसा करने के पीछे एक दर्दनाक वजह है। दरअसल, सिएरा के प्रीमैच्योर बेबी (Pre Mature Baby) का जब जन्म हुआ तो सिर्फ 3 घंटे में ही उसकी मौत हो गई। इसके बाद सिएरा ने ब्रेस्ट मिल्क पंपकर अन्य बच्चों की मदद करने का फैसला किया। सिएरा ने खुद फेसबुक पर पूरे मामले की जानकारी दी है और तस्वीरें भी शेयर की हैं। सिएरा ने कहा कि सिर्फ 25 हफ्ते में ही उनके बच्चे सैमुएल का जन्म हो गया था। 5 सितंबर को जन्म के कुछ ही देर बाद उसकी मौत हो गई। अपने बच्चे की मौत के बाद सिएरा ने तय किया वह दूसरे बच्चों की मदद करेंगी। इसीलिए उन्होंने 63 दिन बाद 7 नवंबर को स्थानीय हॉस्पिटल में बच्चों के आईसीयू में ब्रेस्ट मिल्क डोनेट करने का फैसला किया।
असल में सिएरा ने कहा कि जब उन्हें पता चला था कि वह प्रेग्नेंट हैं तभी उन्होंने सोचा था कि वह ब्रेस्टफीडिंग में सफल होना चाहेंगी। बच्चे की रिपोर्ट आने पर उन्हें झटका लगा था। लेकिन फिर उन्होंने तय कर लिया कि अगर उसकी जान नहीं बचती है तो वह ब्रेस्ट मिल्क को पंप करके डोनेट करेंगी।
सिएरा ने यह भी बताया कि उनकी पहली बच्ची पोर्टर को जन्म के ठीक बाद डोनेशन से मिला हुआ दूध ही दिया गया था। उन्होंने कहा कि पंपिंग कमजोर दिल वालों के लिए नहीं है। यह बहुत मुश्किल भरा है। शारीरिक और मानसिक रूप से। तब और ज्यादा जब आपके बच्चे की जान चली जाए। लेकिन मैं अपने बच्चे को नहीं बचा सकी तो दूसरों की मदद करना चाहती थी।
सिएरा ने ब्रेस्ट मिल्क को पहले फ्रीज कर रखा और अपने बच्चे की ड्यू डेट के दिन ही उसे डोनेट किया। क्योंकि उनके बच्चे की डिलिवरी ड्यू डेट से काफी पहले प्रीमैच्योर हालत में हो गई थी।
बता दे, Trisomy 18 या Edwards' Syndrome नाम के रेयर जेनेटिक कंडीशन की वजह से बच्चे की मौत हो गई। Edwards' Syndrome से पीड़ित बच्चों का सामान्य विकास रुक जाता है। आमतौर पर जहां शरीर में chromosomes के 23 जोड़े होते हैं, Edwards' Syndrome की स्थिति में chromosome 18 की तीन कॉपी हो जाती हैं।