ग्रेनेड धमाके में खोए अपने दोनों हाथ से महिला ने किया कुछ ऐसा

कई बार ऐसे मौके आते हैं जब इंसान को हादसों का शिकार होना पड़ जाता हैं जिसके चलते उन्हें शारीरिक अपंग होने का खतरा भी उठाना पड़ता है। लेकिन इसके आगे की जिन्दगी का सफ़र इंसान कैसे व्यतीत करता हैं यह उसी पर निर्भर करता हैं। नकारात्मकता उसे और दुख पहुंचाती हैं और सकारात्मकता जीवन को पार लगा देती हैं। आज हम आपको एक ऐसी ही महिला के बारे में बताने जा रहे हैं जिसने ग्रेनेड धमाके में अपने दोनों हाथ खो दिए लेकिन उनकी सकारात्मकता ने उन्हें नई उचाईयों पर पहुंचा दिया।

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हम बात कर रहे है अंतरराष्ट्रीय मोटिवेशनल स्पीकर, डिसएबिलिटी एक्टिविस्ट और वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की ग्लोबल शेपर मालविका अय्यर की जिन्होनें हाल ही मने संयुक्त राष्ट्र में भाषण दिया हैं। बीते मंगलवार को अपने जन्मदिन पर उन्होंने उस भाषण के हिस्से ट्विटर पर शेयर कर अपनी जिंदगी के मुश्किल हालात के बारे अपनी विचार रखे और यह बताया की।

राजस्थान के बीकानेर की निवासी 30 साल की मालविका ने लिखा कि, “जब 13 साल की थी, जब ग्रेनेड धमाके में दोनों हाथों का अगला हिस्सा खो दिया था। डॉक्टरों ने सर्जरी करते समय भूल कर दी और स्टीचिंग करते समय एक हाथ की हड्डी बाहर ही निकली रह गई। इससे हाथ का यह हिस्सा यदि कहीं छू जाता तो मुझे काफी दर्द महसूस होता हैं। इसके बावजूद उन्होंने जिंदगी में सकारात्मक पहलू को देखा और इसी हड्डी को अंगुली की तरह काम में लिया। मैंने इसी हाथ से अपनी पूरी पीएचडी थीसिस टाइप की।’

ह्यूमंस ऑफ बॉम्बे में भी अपना सफर बिता चुकी मालविका ने यह भी बताया कि, ‘मैंने इच्छाशक्ति से दिव्यांगता के सदमे पर विजय पा ली हैं। छोटी-छोटी चीजों में खुशी ढूंढना ही उनकी सबसे बड़ी शक्ति है।’उन्होंने लिखा कि हर बादल में एक चांदनी छुपी होती है, मैंने इसी से प्रेरणा ली। अब मैं अपनी वेबसाइट को लेकर काफी उत्साहित हूं, जिसे मैंने अपनी बहुत ही असाधारण उंगली के साथ बनाया है। उन्होंने वेबसाइट का लिंक शेयर भी की हैं। वही मालविका अय्यर को उनके इस ट्वीट पर हजारों लाइक और कमेंट्स मिले हैं। वहीं एक यूजर ने लिखा, ‘आप एक अविश्वसनीय व्यक्तित्व हैं,' एक अन्य यूजर ने लिखा, ‘वास्तविक नायिका को जन्मदिन की शुभकामनाएं, जिन्होंने मुस्कुराहट के साथ जीवन की चुनौतियों का सामना किया।’ यह खबर हम सब के लिए एक प्रेरणा देती हैं। अपने दोनों हाथ खोने के बाद भी उन्होंने काफी हार नहीं मानी हैं।