बीता दिन अर्थात 30 जनवरी का दिन भारतीय इतिहास में शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है क्योंकि इस दिन देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या हुई थी। इस दिन नाथूराम गोडसे ने गांधीजी को मारने के लिए उनके शरीर में तीन गोलियां उतार दी थीं। इस गुनाह के लिए गोडसे को फांसी की सजा सुनाई गई। लेकिन क्या आप जानते हैं कि नाथूराम गोडसे की अस्थियाँ आज भी पुणे के शिवाजी नगर इलाके में स्थित एक इमारत के कमरे में सुरक्षित रखी हुई हैं। ऐसा क्यों आइये जानते हैं इसके बारे में।
उस कमरे में गोडसे के अस्थि कलश के अलावा उसके कुछ कपड़े और हाथ से लिखे नोट्स भी संभालकर रखे गए हैं। नाथूराम गोडसे की भतीजी हिमानी सावरकर ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा था कि फांसी के बाद गोडसे का शव भी उन्हें नहीं दिया गया था बल्कि सरकार ने खुद घग्घर नदी के किनारे उनका अंतिम संस्कार कर दिया था। इसके बाद उनकी अस्थियां हमें एक डिब्बे में भरकर दे दी गई थीं। आपको बता दें कि गोडसे की एक अंतिम इच्छा थी और इसीलिए उनके परिवार ने आज तक उनकी अस्थियों को नदी में नहीं बहाया है बल्कि उसे एक चांदी के कलश में सुरक्षित रखा गया है।हिमानी सावरकर के मुताबिक, नाथूराम गोडसे ने अपनी अंतिम इच्छा के तौर पर अपने परिवार वालों से कहा था कि उनकी अस्थियों को तब तक संभाल कर रखा जाए और जब तक कि सिंधु नदी स्वतंत्र भारत में समाहित न हो जाए और फिर से अखंड भारत का निर्माण न हो जाए। ये सपना पूरा हो जाने के बाद मेरी अस्थियों को सिंधु नदी में प्रवाहित कर दी जाए। यही वजह है कि गोडसे के परिवार ने आज तक उनकी अस्थियों को संभाल कर रखा है और उनके सपने के पूरा होने का इंतजार कर रहे हैं।