अक्सर आपने देखा होगा कि कुछ लोग जिनके साथ घर में सोते समय कई परेशानी होती हैं कि उन्हें रोशनी नहीं चाहिए और कोई आवाज नहीं होनी चाहिए, ऐसे लोगों को वाहन में बैठते ही नींद आने लगती हैं। बिना बेड या तकिया के बावजूद मीठी नींद लेने लगते है। ऐसे में सभी इसके पीछे का कारण सोचते रहते हैं कि आखिर ऐसा क्यों होता हैं। आज इस कड़ी में हम आपको इससे जुड़ी कुछ रिसर्च के बारे में बताने जा रहे हैं जो इसकी वजह को उजागर करते है। तो आइये जानते है इसके बार में।
यह रॉकिंग सेंसेशन की वजह से होता है। रॉकिंग सेंसेशन की वजह से बच्चे को पालने में झूलते हुए नींद आ जाती है। जब बच्चे को नींद नहीं आती है तो उसे गोद में लेकर हिलाया जाता है, जिससे उसे नींद आ जाती है। ऐसी ही जब आपकी बॉडी एक थोड़ी थोड़ी हिलती है तो आपको नींद आना शुरू हो जाती है।जब आप हल्के हल्के एक ही फ्लो में हिलते रहते हैं तो उसे रॉकिंग सेंसेशन कहा जाता है। इससे आपके दिमाग पर सिक्रोनाइजिंग इफेक्ट पड़ता है और आप धीरे-धीरे स्लिपिंग मोड में चले जाते हैं। इसे स्लो रॉकिंग भी कहा जाता है। कहा जाता है कि इससे दिमाग में सोने के लिए इच्छा उत्पन्न होने लगती है और धीरे धीरे नींद आ जाती है। साथ ही एक रिसर्च में अलग अलग तरह के बेड पर लोगों को सुलाया गया था, जिसमें सामने आया था झूले की तरह हिलने वाले बेड पर जल्दी नींद आ गई थी।