आज का युग तकनिकी का युग माना जाता है जहां विज्ञान ने इतनी तरक्की कर ली हैं कि हर असंभव काम को संभव बनाना आसान लगता हैं। लेकिन आज भी कई ऐसी चीजें हैं जो वैज्ञानिकों के लिए चुनौती बनी हुई हैं। इन्हीं चुनौतियों में से एक हैं मंगल ग्रह पर इंसानों का आज तक न पहुंच पाना। इसके पीछे कई रहस्य हैं जिनका जिक्र नासा भी कर चुका हैं। आज हम आपको इसी से जुड़े कुछ तथ्यों के बारे में बताने जा रहे हैं।
- मंगल पर जाने की सबसे पहली चुनौती विकिरण को लेकर है, जिसे इंसानी आंखों से देखा नहीं जा सकता। चूंकि मंगल का अपना कोई चुम्बकीय क्षेत्र नहीं है, ऐसे में वहां का खतरनाक ब्रह्मांडीय विकिरण (रेडिएशन) इंसानों की आंखों में मोतियाबिंद और यहां तक कि कैंसर का कारण भी बन सकता है।
- धरती से मंगल ग्रह की दूरी करीब 14 करोड़ मील है। चांद तक पहुंचने के लिए अंतरिक्ष यात्रियों को मुश्किल से तीन दिन की यात्रा करनी पड़ी थी, लेकिन मंगल तक पहुंचने के लिए इंसान को कई महीनों तक सफर करना होगा। यह अपने आप में एक बड़ी चुनौती है।
- चूंकि इंसानों के जिंदा रहने के लिए सबसे जरूरी है ऑक्सीजन, लेकिन मंगल ग्रह पर इसकी भारी कमी है। मंगल के वातारण में 96 फीसदी कार्बन डाई ऑक्साइड है, 1.93 फीसदी आर्गन, 0.14 फीसदी ऑक्सीजन और 2 फीसदी नाइट्रोजन है। साथ ही यहां के वातावरण में कार्बन मोनोऑक्साइड के निशान भी पाए गए हैं। ऐसे में वहां पर कोई भी इंसान महज कुछ घंटों तक ही जिंदा रह पाएगा।
- अंतरिक्ष यात्रियों को चाहे कितना भी प्रशिक्षण दिया गया हो, लेकिन थोड़े समय तक अंतरिक्ष में रहने के बाद उनके व्यवहार संबंधी परेशानी आने ही लगती है। इसके लिए नासा एक ऐसी टीम की तलाश कर रही है, जिसमें मजाकिया लोग भी हों जो अपना काम बखूबी करें। इसके साथ ही वो पूरी टीम को हंसाते भी रहें, क्योंकि इतने लंबे समय के मिशन में इंसान के अंदर तनाव आ सकता है।
- मंगल ग्रह पर इंसानों को अलग तरह के गुरुत्वाकर्षण का भी सामना करना पड़ेगा। धरती पर जिस इंसान का वजन 100 पाउंड यानी 45.3 किलो होगा, मंगल ग्रह पर उसी का वजन 38 पाउंड यानी 17.2 किलो हो जाएगा।
- मंगल का तापमान और दबाव भी इंसानों के लिए एक बड़ी चुनौती होगी। पृथ्वी के मुकाबले ठंड, धूल भरी आंधी और बवंडर, मंगल ग्रह पर कहीं ज्यादा हैं। गर्मियों में मंगल ग्रह का अधिकतम तापमान 30 डिग्री सेल्सियस रहता है, लेकिन सर्दियों में यही तापमान -140 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है।
- हालांकि नासा का कहना है कि साल 2030 तक अंतरिक्ष यात्रियों का एक दल मंगल ग्रह पर कदम रखेगा। वहीं, यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी 'ईएसए' भी साल 2050 तक अपने एक ऐसे ही अभियान को संभव मानती है।