जब भी कभी कोई एक्सीडेंट या ऑपरेशन होता हैं तो पीड़ित को खून की जरूरत तो पड़ती ही हैं। कई लोग समय पर खून ना मिल पाने की वजह से अपनी जान गंवा बैठते हैं। आमतौर पर इंसान में A, B, AB, 0 ब्लड ग्रुप्स के निगेटिव या पॉजिटिव प्रकार पाए जाते हैं। लेकिन एक ब्लड ग्रुप ऐसा हैं जो बेहद दुर्लभ हैं और दुनियाभर में इसके सिर्फ 43 लोग ही है जिसमें से 9 लोग ही सक्रिय डोनर हैं। इसकी वजह से इसको गोल्डन ब्लड कहते हैं। इस ब्लड ग्रुप को अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर ट्रांसपोर्ट करना भी कठिन है। हमने ऊपर बताया है कि इस ब्लड ग्रुप के नौ लोग खून को सक्रिय रूप से डोनेट करते हैं ताकि खून को ब्लड बैंक में जमा किया जा सके। इस ब्लड ग्रुप को सिर्फ उन्हीं लोगों को दिया जाता है जो इस ग्रुप के हैं।
इस ब्लड ग्रुप को आरएच नल कहा जाता है जो इसका असली नाम है। इस ब्लड को किसी भी ब्लड ग्रुप वाले व्यक्ति को चढ़ाया जा सकता है। किसी ब्लड ग्रुप के साथ यह आसानी से मैच हो जाता है। यह ब्लड ग्रुप सिर्फ उस व्यक्ति के शरीर में मिलता है जिसका Rh फैक्टर null (Rh-null) होता है। गोल्डन ब्लड ग्रुप कहे जाने वाले Rh Null ब्लड ग्रुप में रेड ब्लड सेल्स (आरबीसी) पर कोई आरएच एंटीजन (प्रोटीन) नहीं मिलता है। अगर यह प्रोटीन रेड ब्लड सेल्स (आरबीसी) में मौजूद है तो ब्लड Rh+ Positive कहलाता है। लेकिन इस ब्लड ग्रुप के लोगों में Rh फैक्टर Null होता है। दुनियाभर में यह बेहद दुर्लभ ब्लड ग्रुप है, क्योंकि यह सिर्फ 43 लोगों में पाया जाता है। जिन लोगों के पास यह ब्लड ग्रुप है उनमें अमेरिका, ब्राजील, कोलंबिया और जापान के लोग शामिल हैं। दुनिया में इस ब्लड ग्रुप के नौ लोग हैं जो ब्लड डोनेट करते हैं। इसलिए इस ब्लड ग्रुप को गोल्डन ब्लड कहा जाता है, क्योंकि दुनिया में यह सबसे महंगा ब्लड ग्रुप है। इस खून को तो किसी को चढ़ाया जा सकता है, लेकिन इस ब्लड ग्रुप के लोगों को खून की जरूरत होती है, तो कई तरह की परेशानियां होती हैं। दुनिया में यह ब्लड ग्रुप सिर्फ 43 लोगों में मिलता है जिसकी वजह से इस ग्रुप का डोनर मिलना मुश्किल है।