दुनिया आज कोरोना के कहर का सामना कर रही हैं और अब तक 80 लाख से अधिक लोग इससे संक्रमित हो चुके हैं और लाखों लोग अस्पताल में इससे जुंग लड़ रहे हैं। कोरोना से जंग जीतकर कई लोग घर जा चुके हैं। लेकिन देश-दुनिया से कई ऐसे मामले सामने आ रहे हैं जहां अस्पताल से कोरोना से जंग जीतने के बाद लोग अस्पताल के लंबे बीम देखकर हैरान हो रहे हैं। ऐसा ही एक अनोखा मामला देखने को मिला सिएटल शहर में जहां एक 62 वर्षीय बुजुर्ग को कोरोना वायरस से बचा लिया गया है। 2 महीने तक वो अस्पताल में रहे। उनका ट्रीटमेंट चला लेकिन जब उन्हें डिस्चार्ज करने की बारी आई, तो अस्पताल प्रशासन ने बुजुर्ग को 11 लाख डॉलर्स का बिल पकड़ा दिया। भारतीय करंसी के हिसाब से ये मामला 8 करोड़ रुपये के आसपास बैठता है।
बता दें की इस बुजुर्ग शख्स का नाम माइकल फ्लोर है। 4 मार्च को उन्हें अस्पताल भर्ती कराया दिया गया था। कोरोना से लगातार उनकी तबियत बिगड़ती गई। डॉक्टर्स ने उन्हें आखिरकार बचा ही लिया। 5 मई के दिन उन्हें डिस्चार्ज कर दिया गया। अस्पताल से निकलते समय उन्हें 181 पन्नों का बिल थमा दिया गया। उन्हें 42 दिन तक तो आइसोलेशन सेंटर में रखा गया, और 29 दिनों तक उन्हें वेंटिलेटर में रखा गया। Seattletimes को माइकल ने बताया कि हर दिन आईसीयू का चार्ज 7।39 लाख रुपये था। उन्हें 42 दिन स्टेराइल रूम में रखने के लिए 4 लाख 9 हजार डॉलर (3 करोड़ 10 लाख रुपये) चार्ज किए गए। 29 दिन तक वेंटिलेटर पर रखने के लिए 82 हजार डॉलर (62 लाख 28 हजार), यहां तक कि दो दिन जान खतरे में आने के बाद हुए ट्रीटमेंट के लिए 1 लाख डॉलर (करीब 76 लाख रुपए) चार्ज किए गए।दरअसल, ये सारा खर्च सरकार देगी। ये उनके इंश्योरेंस कवर में आते हैं। इसलिए उन्हें इलाज का खर्च अपनी जेब से नहीं देना पड़ेगा। हालांकि इस पर फ्लोर का कहना है कि वे टैक्सपेयर्स का इतना पैसा खर्च होने की बात सुनकर काफी दुखी हैं। जानकारी के लिए बता दें कि अमेरिकी सरकार ने कोरोना वायरस के दौर में अस्पतालों को 10 करोड़ डॉलर्स की मदद मुहैया कराने का ऐलान किया है। इसके लिए बजट भी पास किया गया है।