Independence Day 2019: आखिर क्यों 26 जनवरी को राष्ट्रपति और 15 अगस्त को प्रधानमंत्री फहराते हैं ध्वज

आज 15 अगस्त का दिन हैं जब पूरा देश 73वाँ स्वतंत्रता दिवस मनाने जा रहा हैं। इस दिन सभी सरकारी इमारतों और कई संस्थाओं द्वारा ध्वजारोहण करते हुए तिरंगे का मान बढ़ाया जाता हैं। मुख्य रूप से लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री द्वारा तिरंगा फहराया जाता हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि 15 अगस्त और 26 जनवरी के ध्वजारोहण में कुछ अंतर होते हैं। आज हम आपको उन्हीं अनोखे और अनजाने अंतर की जानकारी देने जा रहे हैं। तो आइये जानते हैं इनके बारे में।

​प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति
15 अगस्त को आयोजित होने वाले मुख्य कार्यक्रम में देश के प्रधानमंत्री शामिल होते हैं। इस मौके पर प्रधानमंत्री ही ध्वजारोहण करते हैं। 26 जनवरी को आयोजित होने वाले मुख्य कार्यक्रम में राष्ट्रपति झंडा फहराते हैं।

​स्थान का फर्क
स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर मुख्य कार्यक्रम का आयोजन लाल किले पर होता है। वहीं प्रधानमंत्री ध्वजारोहण करते हैं। प्रधानमंत्री इस मौके पर लाल किले की प्राचीर से देश को संबोधित करते हैं। वहीं गणतंत्र दिवस के मुख्य कार्यक्रम का आयोजन राजपथ पर होता है। गणतंत्र दिवस वाले दिन राष्ट्रपति झंडा फहराते हैं।

26 जनवरी को ही राष्ट्रपति क्यों फहराते हैं ध्वज?
प्रधानमंत्री देश के राजनीतिक प्रमुख होते हैं जबकि राष्ट्रपति संवैधानिक प्रमुख। देश का संविधान 26 जनवरी, 1950 को संविधान लागू हुआ। उससे पहले न देश में संविधान था और न राष्ट्रपति। इसी वजह से हर साल 26 जनवरी को राष्ट्रपति राष्ट्रीय ध्वज फहराते हैं।

​ध्वजारोहण (Flag Hoisting) और झंडा फहराना (Flag Unfurling)
15 अगस्त यानी स्वतंत्रता दिवस वाले दिन राष्ट्रीय ध्वज को ऊपर खींचा जाता है और फिर फहराया जाता है। इसे ध्वजारोहण कहा जाता है। वहीं 26 जनवरी यानी गणतंत्र दिवस वाले दिन राष्ट्रीय ध्वज ऊपर बंधा रहता है। उसे खोलकर फहराया जाता है जिसे झंडा फहराना कहते हैं। अंग्रेजी में ध्वजारोहण के लिए Flag Hoisting और झंडा फहराने के लिए Flag Unfurling शब्द का इस्तेमाल किया जाता है।