यह महिला जोंक का पेट भरने के लिए पिलाती है अपना खून, पूरी जानकारी हैरान करने वाली

इस दुनिया में कई तरह के लोग रहते हैं और सभी के अपने-अपने शौक होते हैं। लेकिन कुछ लोग ऐसे होते है जिनके अनोखे शौक दूसरों के लिए बेहद रोचक होते हैं। आज हम आपको एक ऐसी ही महिला के बारे में बताने जा रहे हैं जिनको जोंक पालने का शौक हैं और यहाँ तक कि उसका पेट भरने के लिए वे खुद उन्हें अपना खून पिलाती हैं। तो आइये जानते है इससे जुड़ी पूरी जानकारी।

इस महिला का नाम है कैटी एश्ले (33)। कैटी और उसके पति माइक ने अपने घर में दो जोंक पाल रखे हैं। कैटी की तरह ही माइक भी उन जोंकों को अपना खून पिलाते हैं। खून पीने की वजह से उनके शरीर पर घाव भी बन जाते हैं, जिससे खून बहता रहता है। इससे उनकी जान जाने का भी खतरा बना रहता है, लेकिन इसके बावजूद वो हर तकलीफ और डर को नजरअंदाज कर जोंक को अपने परिवार के एक अहम सदस्य की तरह पालते हैं।

कैटी का कहना है कि दोनों जोंकों को उन्होंने 2018 में गोद लिया था। कैटी और माइक हर चार से छह महीनों में जोंक को अपना खून पिलाते हैं और तब तक पिलाते हैं जब तक कि उनका पेट न भर जाए। कैटी ने बताया कि एक जोंक का पेट करीब दो घंटे में भर जाता है। एक जोंक एकबार में करीब 15 मिलीलीटर तक खून पी जाते हैं। दोनों पति-पत्नी जोंक को बारी--बारी से अपना खून पिलाते हैं।

कैटी बताती हैं कि वो अपने पालतू जोंक को मछलियों के टैंक में रखती हैं और टैंक में पानी का लेवल ज्यादा ऊपर नहीं रखती हैं, क्योंकि ऐसा करने से जोंक वहां से निकलकर भाग सकते हैं। साथ ही उन जोंकों को धूप से भी दूर रखना पड़ता है, क्योंकि वो निशाचर होते हैं।

कैटी और माइक अपने इस अजीबोगरीब शौक से काफी खुश हैं। वो बताते हैं कि जोंक जब उनका खून पीना शुरू करते हैं तो 10 मिनट तक तो ऐसा लगता है जैसे कोई मधुमक्खी उन्हें लगातार काट रही है। जोंक उनकी त्वचा को तब तक काटते हैं, जब तक उनसे खून निकलना शुरू नहीं हो जाता है। इसकी वजह से उन्हें सिरदर्द, थकान और खून की कमी जैसी परेशानियों से जूझना पड़ता है, लेकिन इसके बावजूद वो उन जोंक को अपना खून पिलाना नहीं छोड़ते हैं।

कैटी बताती हैं कि जोंक के कई दांत और जबड़े होते हैं, जिससे वो आसानी से इंसान के शरीर पर चिपक जाते हैं और खून चूसना शुरू कर देते हैं। कैटी का कहना है कि उनके खून पीने से त्वचा पर एक बड़ा सा गड्ढा बन जाता है और उसमें से लगातार खून निकलता रहता है। हालांकि कुछ हफ्तों में वो अपने आप ही ठीक भी हो जाता है।