Bakrid 2018 : ताज उल मस्जिद - अल्लाह का गुम्बद कहा जाता है इस मस्जिद को

हमारे देश में कई मस्जिद हैं और सभी अपनी विशेषताओं के लिए जानी जाती हैं। बकरीद के दिन सभी इन मस्जिदों में बकरीद Bakrid 2018 का त्योंहार मुस्लिम सम्प्रदाय का एक विशेष त्योंहार हैं, जिसे मुस्लिम सम्प्रदाय के लोगों द्वारा बड़े जोश और हर्ष के साथ मनाया जाता हैं। इस दिन सभी एक-दूसरे के गले लगकर ईद मुबारक करते हैं और मस्जिद में नमाज पढ़ते हैं। आज हम बकरीद के इस ख़ास मौके पर आपको देश की एक ऐसी मस्जिद Masjid के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि विश्वभर में जाना जाता हैं। हम बात कर रहे हैं भोपाल में स्थित है 'ताज -उल' मस्जिद के बारे में। तो आइये जानते हैं इसके बारे में।

इस मस्जिद का इतिहास 300 साल पुराना है, इस मस्जिद का निर्माण कार्य भोपाल के आठवें शासक शाहजहां बेगम के शासन काल में प्रारंभ हुआ था लेकिन धन की कमी के कारण ये बन न सकी थी जिसके बाद 1971 में भारत सरकार ने इस मस्जिद को पूरी तरह से बनाकर तैयार किया था।

ताज-उल-मस्जिद एशिया की सबसे विशाल मस्जिदों में से एक है। जो एक विशाल मैदान में बनी हुई है। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में स्थित इस मस्जिद को "अल्लाह का गुम्बद" भी कहा जाता है। ताज-उल-मस्जिद कुल 23,312 वर्ग फीट के मैदान पर फैली हुई है जिसकी मीनारे तक़रीबन 206 फीट ऊँची है।

इस मस्जिद में 3 विशाल गोलाकार आकर के गुम्बद है। इस मस्जिद का लोटनेवाला आकार ही इसका सबसे बड़ा आकर्षण केंद्र है। ताज उल मस्जिद में सुर्ख लाल रंग की मीनारें हैं, जिनमें सोने के स्पाइक जड़े हैं। इसके चारों ओर दीवार है और बीच में एक तालाब है, जो बहुत ही खुबसूरत है इस मस्जिद को देखने के लिए मुस्लमान दूर-दूर देशो से आते है। ताज-उल-मस्जिद के प्रवेश द्वार के चार मेहराबें हैं जिसमे मुख्य प्रार्थना हॉल में जाने के लिए 9 प्रवेश द्वार हैं। गुलाबी पत्थर से बनी इस मसजिद में दो विशाल सफ़ेद गुंबद हैं। मोतिया तालाब और मस्जिद को मिलकर इसका कुल क्षेत्रफल 14 लाख 52 हजार स्केयर फीट है।