देवी-देवताओं की नहीं बल्कि यहाँ होती हैं कौरव-पांडवों की पूजा, प्रसाद के रूप में चढ़ता है खून

भारत में अनेकों मंदिर हैं जिसमें कई देवी-देवताओं की पूजा की जाती हैं। लेकिन जरूरी नहीं है कि मंदिरों में केवल देवी-देवताओं की ही पूजा हो। जी हां, हमारे देश में ऐसे कई मंदिर हैं जहां देवी-देवताओं की नहीं बल्कि कौरव और पांडवों की पूजा की जाती है। इन्हीं मंदिरों में से एक तो ऐसा हैं जहां प्रसाद के रूप में आज भी खून चढ़ाया जाता हैं। तो आइये जानते हैं इन अनूठे मंदिरों के बारे में।

- बेंगलुरु में एक मंदिर है, जिसे द्रौपदी मंदिर के नाम से जाना जाता है। यह मंदिर करीब 800 साल पुराना है। इस मंदिर को धर्मराय स्वामी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।

- इलाहाबाद के दारागंज में भीष्म पितामह का मंदिर है। इस मंदिर में तीरों की शैया पर लेटे हुए भीष्म की 12 फीट लंबी मूर्ति है।

- उत्तराखंड के उत्तरकाशी के सारनौल में स्थित एक मंदिर है, जिसे दानवीर कर्ण का मंदिर कहा जाता है। यह मंदिर लकड़ियों से बना हुआ है, जिसमें पांडवों के 6 छोटे-छोटे मंदिर भी बने हुए हैं।

- केरल के कोल्लम जिले के मायम्कोट्टू मलंचारुवु में दुर्योधन के मामा शकुनि का मंदिर है। यह मंदिर पवितत्रेश्वरम नाम से प्रसिद्ध है। शकुनि मंदिर के पास ही दुर्योधन का भी मंदिर बना हुआ है।

- मनाली में एक मंदिर है, जिसे हिडिंबा मंदिर कहा जाता है। हिंडिबा भीम की पत्नी थीं, जिनका पुत्र घटोत्कच था। कहते हैं कि हिडिंबा मंदिर में लोग आज भी प्रसाद के रूप में अपना खून चढ़ाते हैं।